थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर जारी तनाव अब गंभीर रूप ले चुका है। शनिवार को कंबोडिया प्रशासन ने बताया कि ताजा झड़पों में 12 और लोगों की मौत हो गई है, जिससे मरने वालों की कुल संख्या 32 हो चुकी है। इनमें आम नागरिकों के साथ सैनिक भी शामिल हैं।
लगातार हो रही झड़पों के कारण दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना पड़ा है। थाई स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 58,000 से अधिक लोगों को प्रभावित जिलों से निकाला गया है, जबकि कंबोडियाई प्रशासन का कहना है कि करीब 23,000 नागरिक अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।
यूएन और आसियान की पहल से उम्मीद
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन बैठक कर दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। कंबोडिया के संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि ने संघर्षविराम की मांग करते हुए स्पष्ट किया कि उनके देश की ओर से कोई उकसावे की कार्रवाई नहीं हुई है।
वहीं, आसियान की अध्यक्षता कर रहे मलेशिया ने भी मध्यस्थता की पेशकश की है। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बताया कि दोनों देश संघर्षविराम पर सैद्धांतिक सहमति दे चुके हैं।
तनाव की जड़ और बढ़ती हिंसा
इस विवाद की शुरुआत मई में उस समय हुई थी जब सीमा पर एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया। हाल ही में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए, जिसके बाद हालात और बिगड़ गए। इसके जवाब में थाई सेना ने सीमा के विभिन्न हिस्सों में गोलाबारी शुरू कर दी।
सीमा क्षेत्रों में आम लोगों की परेशानी
सीमावर्ती गांवों में रहने वाले नागरिक इस संघर्ष की सीधी चपेट में आ गए हैं। सैकड़ों लोगों ने अस्थायी शिविरों में शरण ली है, जबकि कई लोग अपने घरों के आसपास बंकर बनाकर जान बचा रहे हैं। थाईलैंड के सुरिन जिले में स्कूलों और कॉलेजों को राहत शिविरों में तब्दील कर दिया गया है।
नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने के आरोप
कंबोडिया का आरोप है कि थाई सेना ने बौद्ध मंदिरों और स्कूलों को निशाना बनाया, जबकि थाई पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कंबोडिया अपनी सैन्य तोपों को नागरिक इलाकों में तैनात कर रहा है। झड़पों में बच्चों और बुजुर्गों की मौत से मानवीय संकट और गहरा गया है।