पहलगाम हमले के दोषी टीआरएफ को अमेरिका ने घोषित किया आतंकवादी संगठन

अमेरिका ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह जानकारी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को दी। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

गौरतलब है कि TRF ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए उस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी।

भारत-अमेरिका सहयोग की मिसाल

विदेश मंत्री रुबियो ने कहा कि पहलगाम हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे भीषण आतंकी हमला था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता और भारत के साथ गहरे होते रणनीतिक संबंधों का प्रमाण है।

इसके साथ ही TRF को ‘विशेष रूप से चिन्हित वैश्विक आतंकवादी इकाई’ के रूप में भी नामित किया गया है। संगठन के सभी नाम और उसकी शाखाएं अब लश्कर-ए-तैयबा की सूची में आधिकारिक रूप से जोड़ी गई हैं। अमेरिका ने लश्कर की आतंकी संगठन के रूप में पहले से मान्यता को भी यथावत रखा है।

TRF प्रमुख सज्जाद गुल पर NIA की नजर

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुसार, TRF के सरगना शेख सज्जाद गुल को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। TRF पहले भी भारत में कई आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी ले चुका है, जिनमें 2024 में भारतीय सुरक्षा बलों पर किए गए हमले भी शामिल हैं।

पहलगाम हमला और सेना की जवाबी कार्रवाई

22 अप्रैल को हुए हमले में TRF के आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। इस बर्बर हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 6-7 मई की रात को नौ आतंकी अड्डों पर सटीक और निर्णायक कार्रवाई की।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की प्रभावी कूटनीति

सेना की जवाबी कार्रवाई के अलावा भारत ने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की करतूतें उजागर करने के लिए राजनयिक मोर्चा भी मजबूत किया। सात सर्वदलीय शिष्टमंडलों ने 33 देशों की राजधानियों का दौरा कर पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों को उजागर किया।

इन दलों में 51 सांसदों सहित कई पूर्व मंत्री, वरिष्ठ नौकरशाह और राजनयिक शामिल थे। उन्होंने अल्जीरिया, डेनमार्क, ब्रिटेन, इथियोपिया, फ्रांस, इटली, रूस, जापान, यूएई समेत कई देशों में आतंकवाद के विरुद्ध भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

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