अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बड़ा टैरिफ लागू करते हुए आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। अब अमेरिका, भारत से 50 प्रतिशत तक टैरिफ वसूलेगा। यह कदम भारत-रूस के बीच गहरे होते संबंधों को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि यदि भारत रूस से तेल की खरीद जारी रखता है, तो टैरिफ में और बढ़ोतरी संभव है।
इस पूरे घटनाक्रम की खास बात यह है कि भारत-रूस की नजदीकी पर आपत्ति जताने के साथ ही ट्रंप ने रूस के साथ संवाद बनाए रखने की रणनीति भी अपनाई है। उन्होंने रूस में अपने विशेष दूत को बातचीत के लिए भेजा है।
रूस में अमेरिकी दूत की कूटनीतिक पहल
क्रेमलिन के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात की, जो यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति वार्ता के प्रयासों के तहत मॉस्को पहुंचे थे। ट्रंप प्रशासन इस मिशन को एक निर्णायक कूटनीतिक पहल के रूप में देख रहा है।
इसके पहले ट्रंप ने ऊर्जा आयात करने वाले देशों को चेतावनी दी थी कि यदि यूक्रेन संकट का समाधान नहीं हुआ तो उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस पर रूस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी संप्रभु देश को मास्को से अपने आर्थिक संबंध समाप्त करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
रूस से संबंधों को लेकर ट्रंप की दोहरी रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद रूस के साथ फिर से संवाद की प्रक्रिया शुरू की है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीति से अलग, ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिका और रूस जैसी परमाणु शक्तियों के बीच बातचीत आवश्यक है। हालांकि शांति वार्ता में अपेक्षित प्रगति न होने से निराशा भी जाहिर की जा रही है।
मॉस्को ने अपनी ओर से स्पष्ट किया है कि वह कूटनीति को तरजीह देता है, लेकिन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करते हुए सीमा पर नाटो समर्थक ताकतों की मौजूदगी को स्वीकार नहीं कर सकता।