अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 'गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड' परियोजना की औपचारिक घोषणा की है। इस नई प्रणाली के तैयार हो जाने पर अमेरिका की हवाई सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हो जाएंगी। राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम बताते हुए कहा कि यह वही सुरक्षा ढांचा है जिसकी देश को ज़रूरत है और यह आने वाले समय में रक्षा क्षेत्र में बदलाव लाएगा।

अंतरिक्ष से सुरक्षा की ओर कदम

गोल्डन डोम प्रणाली अमेरिका का ऐसा पहला रक्षा उपकरण होगा, जिसे अंतरिक्ष में तैनात किया जाएगा। इसे विकसित करने में तीन साल तक का समय लग सकता है। ट्रंप ने कहा कि चुनाव अभियान के समय उन्होंने अमेरिका को एक अत्याधुनिक मिसाइल सुरक्षा प्रणाली देने का वादा किया था, और अब उस दिशा में ठोस पहल की जा चुकी है।

गोल्डन डोम की विशेषताएं

यह प्रणाली ज़मीन और अंतरिक्ष दोनों से संचालित होगी और मिसाइलों के विभिन्न चरणों की पहचान, निगरानी और निष्प्रभावी करने में सक्षम होगी। यह किसी भी दिशा या माध्यम से दागी गई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने का सामर्थ्य रखेगी—चाहे वे पारंपरिक हो या परमाणु, क्रूज़ हो या हाइपरसोनिक।

ट्रंप ने कहा कि इस प्रणाली के तहत अंतरिक्ष-आधारित सेंसर, इंटरसेप्टर, और अगली पीढ़ी की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जो अमेरिका की रक्षा को भविष्य के खतरों से सुरक्षित बनाएंगे।

पेंटागन का भी साथ

रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बताया कि यह प्रणाली अमेरिका की मौजूदा ग्राउंड-बेस्ड डिफेंस क्षमताओं के साथ समेकित होगी। इसका उद्देश्य है—दुश्मनों की मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हथियारों से मातृभूमि की रक्षा करना।

लागत और प्रेरणा

गोल्डन डोम के निर्माण में अरबों डॉलर की लागत आने की संभावना है और इसे पूरा करने में कई साल लग सकते हैं। अमेरिकी सरकार ने इसके लिए बड़ा बजट स्वीकृत किया है। इस रक्षा कवच की अवधारणा को इजरायल के 'आयरन डोम' सिस्टम से प्रेरित बताया जा रहा है, जिसने युद्धक्षेत्र में अपनी प्रभावशीलता साबित की है।