अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों मध्य पूर्व दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने इंवेस्टमेंट फोरम में घोषणा की कि अमेरिका सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंध हटा रहा है। इसके अगले ही दिन, बुधवार सुबह, ट्रंप ने सीरिया के नेता अल-शरा से मुलाकात की।

अल-शरा से मुलाकात पर विवाद

अल-शरा का नाम अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादियों की सूची में शामिल है और उन पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी है। वह चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के प्रमुख हैं, जिसने सीरिया से बशर अल-असद का तख्तापलट करने में अहम भूमिका निभाई। यह संगठन भी अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में है।

ट्रंप और अल-शरा की इस मुलाकात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने वाले अमेरिका का राष्ट्रपति एक कुख्यात आतंकवादी से क्यों मिल रहा है। 25 वर्षों में यह पहली बार है जब अमेरिका और सीरिया के शीर्ष नेता आपस में मिले हैं।

कौन है अल-शरा?

अल-शरा, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता था, HTS के नेता हैं। उन्होंने बशर अल-असद के शासन को हटाने के लिए संगठन का नेतृत्व किया। अल-शरा का अल-कायदा से भी संबंध रहा है। HTS को अल-कायदा की सीरियाई शाखा माना जाता है।

अल-शरा पर इराक में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के भी आरोप हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने उन्हें युद्ध अपराधों और मानवाधिकारों के उल्लंघन का दोषी ठहराया है।

खुद को उदारवादी दिखाने का प्रयास

सीरिया की सत्ता में आने के बाद से अल-शरा ने खुद को उदारवादी दिखाने की कोशिश की है। वे पश्चिमी नेताओं की तरह सूट पहनते हैं और सीरिया के विकास के लिए प्रतिबंध हटाने की वकालत करते हैं।

सऊदी का समर्थन और ट्रंप की रणनीति

अल-शरा को सऊदी और कतर जैसे सुन्नी देशों का समर्थन प्राप्त है। ट्रंप की इस मुलाकात को सऊदी प्रिंस के दबाव का नतीजा माना जा रहा है। माना जा रहा है कि ट्रंप ने निवेश के लालच में यह कदम उठाया है।