पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की एफआईआर रद्द कराने की याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट से यूपी के पूर्व मंत्री और मीट कारोबारी हाजी याकूब कुरैशी को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने मेरठ में दर्ज एफआईआर को रद्द किए जाने और गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की मांग वाली याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने याकूब कुरैशी व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट के समक्ष बसपा नेता की ओर से पर्याप्त आधार पेश नहीं किया जा सका। मीट फैक्ट्री को संचालित किए जाने का अधिकार पत्र भी नहीं पेश किया।

मामले में हाजी याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री पर 31 मार्च को मेरठ विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन ने छापेमारी की थी। जिसमें पांच करोड़ का मांस (1250 किलोग्राम हड्डियों के साथ 6,720 किग्रा की ताजा खुला मांस और 2,40,4385 किग्रा प्रसंस्कृत मांस) बरामद हुआ था। इससे लोगों को परेशानी हो रही थी। मांस सुरक्षित नहीं रखे जाने से दुर्गंध उत्पन्न हो रही थी।

अवैध रूप से मीट फैक्ट्री संचालित करने पर दर्ज हुआ था मुकदमा

इसके बाद उनके खिलाफ अवैध रूप से मीट फैक्ट्री संचालित किए जाने के मामले में पूरे परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। हाजी याक़ूब कुरैशी के साथ ही पत्नी संजीदा बेगम और दोनों बेटों (इमरान और फिरोज) के खिलाफ मेरठ के खरखौड़ा थाने में आईपीसी की धारा 420, 269, 27, 272, 273 और 120 बी के तहत दर्ज मुकदमा दर्ज किया गया था।

याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उसे झूंठा फंसाया गया है। याची से कोई मतलब नहीं है। सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। कहा कि प्रथम दृष्टया सामग्री का स्पष्ट रूप से खुलासा किया गया है। इसलिए प्राथमिकी रद्द नहीं की जानी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि याची केकार्य से बीमारियां फैल सकती हैं, जो जीवन सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। बिना कानूनी प्राधिकार मांस का व्यापार करने के आरोप का निर्धारण विवेचना में तय होगा। कोर्ट तथ्यों की सत्यता की परख नहीं कर सकती है।

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