डीएम के माफी मांगने पर हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी का आदेश निरस्त किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम मथुरा नवनीत चहल के खिलाफ  जारी गैर जमानती वारंट वापस ले लिया है। डीएम ने अर्जी देकर गलती सुधारी, साथ ही याची को सभी परिलाभ दिए जाने का आदेश जारी कर हलफनामा दाखिल किया और कहा कि कोर्ट के आदेश के उल्लंघन का कोई इरादा नहीं था। भ्रमवश आदेश दिया था, जिसे वापस लेकर नया आदेश जारी कर दिया गया है।

हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को 12 मई को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है और कहा है कि यदि सारे भुगतान नहीं किए गए तो कोर्ट उनके खिलाफ अवमानना आरोप तय कर कार्यवाही करेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने बृजमोहन शर्मा की अवमानना याचिका पर दाखिल अर्जी को निस्तारित करते हुए दिया है।

डीएम को पुलिस अभिरक्षा में लेकर पेश करने का कोर्ट ने दिया था निर्देश

इससे पहले कोर्ट ने डीएम नवनीत चहल के खिलाफ  गैर जमानती वारंट जारी कर पुलिस अभिरक्षा में उन्हें 12 मई को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा था कि कोर्ट की गरिमा एवं मर्यादा कायम रखने और न्याय व्यवस्था पर जन विश्वास बनाए रखने के लिए कोर्ट आंख बंद किए नहीं रह सकती। डीएम से उम्मीद की जाती है कि उसे इस कानून की बेसिक जानकारी होगी कि आदेश पर रोक नहीं है तो वह लागू रहेगा और प्राधिकारी को उसका पालन करना बाध्यकारी होगा।

इसके बावजूद जिलाधिकारी ने अवज्ञा की। डीएम ने याची को नियमित किए जाने से पहले की सेवा को क्वालीफाइंग सेवा नहीं माना था और कहा था कि वह पेंशन पाने का हकदार नहीं है। हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद करते हुए 1996 से याची को सेवा में मानते हुए पेंशन निर्धारित करने का आदेश दिया था। डीएम ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि कोर्ट आदेश की पुनर्विचार अर्जी दी गई हैए उसके तय होने तक याची पेंशन पाने का हकदार नहीं हैं।

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