महिला के साथ दोस्ती का मतलब शारीरिक संबंध बनाने की छूट नहींः बॉम्बे हाई कोर्ट

रेप के एक मामले में आरोपी की प्री-अरेस्ट बेल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस भारती डांगरे ने कहा कि अगर कोई लड़की किसी के साथ दोस्ती के लिए तैयार होती है तो इसका मतलब बिल्कुल नहीं है कि वह शारिक संबंध बनाने की अनुमति दे रही है। आरोपी की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी।

आरोपी पर आईपीसी की धारा 376 (2) (n) (एक ही महिला के साथ बार-बार रेप करने) और 376 (2) (h) (महिला को गर्भवती जानने के बाद भी रेप करने) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। एक 22 साल की महिला ने आरोपी के खिलाफ शिकायत की थी। साल 2019 में वह अपने दोस्त के साथ उसके दोस्त के घर गई थी। आरोप है कि जिसके घऱ वह गई थी उसने जबरदस्ती महिला के साथ संबंध बनाए। जब उसने विरोध किया तो आरोपी ने कहा कि वह उसे पसंद करता है और शादी करना चाहता है।

इसके बाद शादी का वादा करके वह बार-बार संबंध बनाता रहा। महिला प्रेग्नेंट हो गई। जब वह 6 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी तब उसने आरोपी से शादी करने को कहा लेकिन उसने बेवफाई का आरोप लगाते हुए शादी से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट को बताया गया कि बार-बार रिक्वेस्ट करने पर भी शख्स शादी के लिए तैयार नहीं हुआ। मई 2019 से अप्रैल 2022 के बीच बार-बार संबंध बनाने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई।

हाई कोर्ट ने कहा कि महिला का पक्ष है कि शादी के वादे के बाद उसने शारीरिक संबंध बनाने की इजाज़त दे दी थी। जस्टिस डांगरे ने कहा, ‘जब एक पुरुष महिला के साथ काम करता है तो हो सकता है कि उनमें किसी वजह से दोस्ती हो जाए क्योंकि दोस्ती करने के लिए जेंडर देखने की जरूरत नहीं होती। हालांकि यह पुरुष को इस शारीरिक संबंध बनाने का लाइसेंस नहीं देता है।’


हाई कोर्ट ने कहा, किसी भी संबंध में महिलाओं को सम्मान की उम्मीद होती है। दोस्ती में भी ऐसी ही उम्मीद रहती है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोप है कि पहले शख्स ने संबंध बनाए लेकिन प्रेग्नेंसी के बारे में पता चलते ही दूसरे शख्स के साथ संबंध का आरोप लगाकर शादी से इनकार करर दिया। इस मामले में जांच की जरूरत है।

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