मथुरा पहुंचे गदर-2 के निर्माता अनिल शर्मा बोले- फिल्म ऐसी बनाओ कि चलती रहे और लोगों के दिलों में भी बसी रहे

उत्तर प्रदेश के मथुरा पहुंचे फिल्म गदर-2 के निर्देशक अनिल शर्मा और अभिनेता उत्कर्ष शर्मा एवं अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने यमुना जी में पूजा-अर्चना की। साथ ही यमुना महारानी की महाआरती में शामिल हुए।

’22 साल बाद दर्शकों का वही प्यार। तब भी सिनेमाघरों के बाहर ऐसे ही दृश्य आम थे। टिकट के लिए मारामारी, कई दिनों तक की एडवांस बुकिंग…सिनेमा हाल के अंदर सीटियां, हूटिंग और तालियां…यह सब गदर एक प्रेम कथा के साथ लोगों के दिलों के जो तार जुड़े थे, उसी का नतीजा है’। गदर-2 की पहले नौ दिन में बॉक्स ऑफिस पर अपार सफलता से उत्साहित निर्माता निर्देशक अनिल शर्मा ने रविवार को विशेष बातचीत में यह बात कही। 

वह यहां फिल्म प्रमोशन के लिए आए थे। उनका मानना है कि दर्शक के दिलों पर जो छा जाए, उस फिल्म की सफलता का श्रेय टीम को नहीं दर्शकों को ही जाता है। फिल्म बनाते वक्त बस इतना ध्यान रखने की जरूरत है कि दर्शक क्या चाहता है, वह क्या देखना चाहता है और उसके इमोशन क्या है। फिल्म ऐसी बनाओ की चलती रहे और लोगों के दिलों में भी बसी रहे। पेश है उनसे बातचीत के अंश:

सवाल : गदर एक प्रेम कथा जैसा ही गदर 2 को दर्शकों का प्यार मिल रहा है, आप कैसा महसूस कर रहे हैं

फिल्म रिलीज होने के नौवें दिन की शुरूआत में 336 करोड़ का कलेक्शन निसंदेह बड़ी सफलता है। इससे में बेहद उत्साहित हूं और खुशनसीब समझता हूं कि दर्शकों का इतना प्यार मिल रहा है। सिनेमा हाल में देख रहा हूं कि भीषण गर्मी के बावजूद लोग किस तरह टिकट खिड़कियों पर कतार में लगे हैं।

सवाल : गदर-2 बनाने के पीछे क्या योजना थी या सिक्वल के तौर पर ट्राई करना चाह रहे थे

– पहली फिल्म गदर एक प्रेम कथा थी। इस कथा से 22 साल में जो एक नई पीढ़ी तैयार हो चुकी है, उसे भी जोड़ना था। ऐसे में इसे प्रयोग के तौर पर नहीं बनाया। दर्शकों के जेहन में जो यादें बनीं थीं, उन्हें और तरोताजा करने भर की कोशिश है। इसके साथ ही जिन्होंने पहले वाली गदर नहीं देखी थी, उन्हें तारा और सकीना के किरदार से रूबरू करवाना था। हमने बस फिल्म बनाई है, यह दर्शक को चुनना है कि वह क्या चाहता है।

सवाल: फिल्म का कांसेप्ट कैसे दिमाग में आया

– देखिए पहले जो गदर बनी थी वह राम और सीता की कहानी जैसी थी और गदर 2 अर्जुन और अभिमन्यु की कहानी पर आधारित है। अभिमन्यु जब चक्रव्यूह में फंस गया और अर्जुन बचाने आए तब जो रोमांच था, वैसा ही इस कहानी में तारासिंह के किरदार ने महसूस कराया है। फिल्म बनाने से पहले बस यही परिकल्पना थी।
सवाल: ओएमजी 2 और जेलर भी अभी रिलीज हुईं, क्या कोई चुनौती थी

– चुनौती जैसी कोई बात नहीं थी। हां इतना जरूर है कि रजनीकांत स्टारर जेलर साथ ही रिलीज न होती तो अब तक कलेक्शन 500 करोड़ पहुंच जाता। दर्शकों में उनका अलग ही क्रेज है, जिसका मुकाबला नहीं किया जा सकता।

सवाल: अधिकतर फिल्मों के सिक्वल सफल नहीं रहे फिर भी आपने बनाई

– सिर्फ कुछ दिखाने के लिए सिक्वल बना देना और उसकी सफलता की उम्मीद गलतफहमी है। सिक्वल में भी हर किरदार को उसी तरह जीना पड़ता है, जैसा पहले किया था। तारा और सकीना को लोग उसी अंदाज में देखना चाहते थे और उन्होंने बखूबी कर दिखाया। चरणजीत के रूप में उत्कर्ष ने भी अपनी प्रतिभा का बेहतर परिचय दिया है। यही वजह है कि यह सिक्वल बेहद सफल होती दिख रही है।

सवाल: क्या फिल्मों में आने के लिए गॉडफादर होना जरूरी है

– नहीं, सिनेमा में आने के लिए सबसे जरूरी चीज है अवसर मिलना और प्रतिभा। यह है तो आपको कोई रोक नहीं सकता और नहीं है तो कोई मदद भी नहीं कर सकता। क्योंकि पर्दे पर तो आपको ही परफॉर्म करना है।

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