गडकरी ने याद किए नब्बे के दशक के दिन, बोले- तब कांग्रेस नेता मेरा मजाक उड़ाते थे

पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करना ‘मोदीनॉमिक्स’ का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है, क्योंकि यह न केवल धन सृजन का साधन है, बल्कि रोजगार सृजन का साधन भी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को यह बात कही।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल की उपलब्धियों पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘कांग्रेस के 60 साल के शासन में पूंजीपतियों के खिलाफ नफरत फैलाई गई। कांग्रेस के शासन के दौरान शासन बजट केंद्रित था।   

उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन के लिए घरेलू पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करना और विकास के लिए विदेशी पूंजी लाना जरूरी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मोदी सरकार पूंजी निवेश को प्रोत्साहित कर रही है, इसलिए 900 करोड़ रुपये के बजट के साथ 9 लाख करोड़ रुपये के कार्य किए जा चुके हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि पूंजी निवेश पैसा और नौकरियां पैदा करता है।   1990 के दशक में महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) मंत्री के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए गडकरी ने कहा कि तब वह बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) और पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) के आधार पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के बारे में बात करते थे। तो कांग्रेस नेता यह कहते हुए उनका मजाक उड़ाते थे कि क्या सरकार को बीओटी और पीपीपी पर दिया गया है।   

उन्होंने कहा कि आज, बीओटी और पीपीपी मॉडल अच्छी तरह से स्वीकार किए जाते हैं। गडकरी ने कहा कि विकास और आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने के साथ सुशासन के कारण मोदी सरकार में निर्णय लेना पारदर्शी और समयबद्ध है।  उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य गरीबी और सामाजिक-आर्थिक असमानता का खत्म करना है। मोदी सरकार की अंत्योदय योजनाओं से समाज के गरीब तबकों को लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से 9.5 करोड़ लोगों को लाभ हुआ है, जबकि 3.5 करोड़ नागरिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिले हैं।  
 

उन्होंने कहा, ’49 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं, आयुष्मान भारत (स्वास्थ्य योजना) के तहत 37 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं और स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है। इनमें से अधिकांश योजनाओं ने गरीबों को लाभ पहुंचाया है और उन्हें सम्मान दिया है।’ 
 

गडकरी ने कहा कि भारत की आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया था। समाजवाद और साम्यवाद अप्रासंगिक हो गए हैं। भाजपा ने सुशासन के साथ राष्ट्रवाद को अपने विकास मॉडल के रूप में अपनाया है और इसकी नीतियों से सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी आबादी को लाभ हुआ है।    

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