गाम्बिया सरकार का यू टर्न, कहा- भारत में बने कफ सीरप से बच्चों की मौत कंफर्म नहीं

कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में गाम्बिया ने यूटर्न ले लिया है। अब दावा किया जा रहा है कि गाम्बिया ने अभी तक पुष्टि नहीं की है कि खांसी की दवाई (कफ सिरप) की वजह से ही बच्चों की मौत हुई है। दरअसल, 70 बच्चों की मौत गुर्दे में समस्या की वजह से हुई थी। इनमें से 66 बच्चों को ई-कोलई और डायरिया की समस्या थी। ऐसे में उन्हें कफ सिरप क्यों दी गई? देश की मेडिसिन कंट्रोल एजेंसी के एक प्रतिनिधि ने सोमवार इस बात का दावा किया था।

गाम्बिया में आखिर क्या हुआ?
अफ्रीकी देश गाम्बिया में जुलाई में अलर्ट जारी किया गया। वहां, किडनी की समस्या से बच्चे बीमार होने लगे। कुछ बच्चों की मौत की खबर आई। इन मौतों में एक जैसा पैटर्न सामने आया। जान गंवाने वाले सभी बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी। सर्दी-खांसी के सिरप लेने के तीन से पांच दिन बाद ये गंभीर रूप से बीमार हुए।

डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट जारी की
डब्ल्यूएचओ ने अक्तूबर की शुरुआत में इसे लेकर रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि खांसी की दवा डाइथेलेन ग्लाइकोल और इथिलेन ग्लाइकोल इंसान के लिए जहर की तरह हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने कहा कि बच्चों की मौत का संबंध चार दवाओं से है। इन सिरप के सेवन से उनके गुर्दों को क्षति पहुंची। ये चारों दवाएं हरियाणा की एक ही कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं। 

मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन लगा
WHO की रिपोर्ट आने के बाद गाम्बिया ने मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन लगा दिया गया। WHO ने सभी देशों को इन दवाओं को बाजार से हटाने की चेतावनी दी। खुद भी इन देशों और संबंधित क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला पर नजर रखने की बात कही है। WHO की चेतावनी के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जांच के आदेश जारी कर दिए।

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