ज्ञानवापी मामला: सोमवार को अगली सुनवाई करेगा वाराणसी जिला कोर्ट

वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा-अर्चना और अन्य विग्रहों को संरक्षित करने के लिए दायर वाद सुनने योग्य है या नहीं, इस पर आज जिला जज डॉ. अजय कुमार विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। न्यायालय में सबसे पहले मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर ही सुनवाई हो रही है। संभव है इस मामले को लेकर सोमवार को अदालत किसी निर्णय पर भी पहुंच जाए। इस लिहाज से अब सभी की निगाहें जिला जज की अदालत पर टिकी हुई हैं। इसके साथ ही कमीशन की रिपोर्ट पर भी अदालत में आपत्ति आ सकती है। 

वादी-प्रतिवादी पक्ष में तीखी बहस
अदालत में वादिनी पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन समेत लगभग 30 लोग मौजूद हैं। अभी कोर्ट में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अभयनाथ यादव अपना पक्ष रख रहे हैं। वो इस बात पर बल दे रहे हैं कि ये वाद पोषणीय नहीं है। सूत्रों की माने तो सबसे पहले वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अपनी दलीलें रखीं हैं। ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे पर दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा है। 

शिवलिंग के साथ की गई छेड़छाड़
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी सर्वे के मुकदमे की सुनवाई से पहले न्यायालय पहुंचे वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि शिवलिंग मुस्लिम पक्ष के कब्जे में था। उन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की है। इस बाबत उन्होंने जिला न्यायाधीश की कोर्ट को सूचित किया। 

ज्ञानवापी मामले की आज सुनवाई

मुस्लिम पक्ष ने दिया है वाद खारिज करने का आवेदन
आज मुस्लिम पक्ष के रूल 7 आर्डर 11 के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र पर सुनवाई में न्यायालय यह आदेश देगा कि शृंगार गौरी ज्ञानवापी का मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं। इसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से कई महीने पहले ही इस वाद को खारिज करने का आवेदन दिया गया था।
इसमें दी प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने रूल 7 आर्डर 11 के तहत आवेदन दिया था। इस आवेदन पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई नहीं हो पाई थी। 

तीन अन्य आवेदनों पर भी होना है निर्णय

जिला जज की अदालत में तीन और आवेदनों पर भी निर्णय किया जाना है। इसमें वादी पक्ष की ओर से वजूखाने में मिले शिवलिंग के नीचे की जगह को तोड़कर कमीशन की कार्यवाही, जिला शासकीय अधिवक्ता के वजूखाने के तालाब में मछलियों को संरक्षित किए जाने की मांग और काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी के भोग, राग, शृंगार और पूजा पाठ के अधिकार के लिए पक्षकार बनने के आवेदन पर निर्णय होगा।

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