कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 62वें दिन भी जारी है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। किसान आंदोलन के चलते कई दौरे की बात हो चुकी है, लेकिन सब विफल रहीं।
गौरतलब है कि कानूनों को लेकर गतिरोध के बीच अन्नदाता गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रै्क्टर परेड निकालने की तैयारी कर रहे थे। जिसके चलते किसानों ने ट्रैक्टर मार्च के दौरान जमकर बवाल किया और तय रूट से हटकर सेंट्रल दिल्ली में दाखिल हो गए।
आपको बता दें कि किसानों की इस रैली के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा हुई। प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर जमकर हुड़दंग किया। वहीं हिंसा के बाद किसान संगठनों के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि उनका इस हिंसा से कोई लेना देना नहीं।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने इस मामले में कहा, किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी। हमें डर था कि कोई साजिश कामयाब न हो जाए मगर आखिर में साजिश कामयाब हो गई। लाल किले में बिना किसी सांठगांठ के कोई नहीं पहुंच सकता। इसके लिए किसानों को बदनाम करना ठीक नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने हिंसा को लेकर पल्ला झाड़ते हुए कहा, सभी ट्रैक्टरों की जिम्मेदारी उनकी है, दिल्ली पुलिस ने तय रूट पर भी बैरिकेड लगाए थे। इसलिए जिन्हें दिल्ली का रूट नहीं पता था, वो किसान गलत तरफ ट्रैक्टर ले गए। लालकिले पर झंडा फहराने में उनका हाथ नहीं है। उन्होंने हिंसा के लिए पंजाबी स्टार दीप सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया है।
मालूम हो कि किसान संगठनों की केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी। इस दौरान कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बैरिगेट्स को तोड़ दिया और पुलिस के साथ झड़प भी की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था।