हरिद्वार : महाकुंभ से जूना अखाड़ा ने समाप्त की अपनी भूमिका, कोरोना के कारण लिया फैसला

देश में प्रचलित कोविड -19 स्थिति के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए, जूना अखाड़ा ने शनिवार को घोषणा की कि उसने हरिद्वार कुंभ मेले में अपनी भागीदारी को समाप्त करने का निर्णय लिया है। जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने एक ट्वीट में कहा कि लोगों की भलाई उनकी पहली प्राथमिकता है, और कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, जूना अखाड़ा ने हरिद्वार कुंभ मेले में अपनी भागीदारी को समाप्त करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, “कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, हमने कुंभ मेले में आमंत्रित सभी से अंतिम रूप से प्रार्थना की है। जूना अखाड़ा के लिए, कुंभ मेला समाप्त हो गया है। सूत्रों का कहना है कि अन्य अखाड़ों के द्रष्टा भी कोविड -19 के डर के कारण अपनी भागीदारी को सीमित करने के बारे में सोच रहे हैं। 

 इस सप्ताह की शुरुआत में, निरंजनी अखाड़ा ने भी घोषणा की कि वह कुंभ मेले में कोरोना वायरस की चिंताओं के कारण  अपनी भागीदारी को समाप्त कर रहा है क्योंकि बढ़ते कोविड -19 मामलों में पैदा हुए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं हैं।

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने शनिवार को लोगों से कोरोना वायरस के मामलों में तीव्र वृद्धि के मद्देनजर कम संख्या में हरिद्वार कुंभ मेले में आने की अपील की। कुंभ में सहभागिता को प्रतीकात्मक रखने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर गिरि ने कहा, ‘‘धर्म एक बड़ी चीज है, लेकिन मानव जीवन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। ’’ उन्होंने हरिद्वार में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हमें अहसास करना चाहिए कि वर्तमान कोरोना जितना घातक और जानलेवा है, उतना पहले वाला नहीं था। ऐसे में भावुक श्रद्धलुओं से मेरी अपील की है कि उन्हें कुंभ मेले में सीमित संख्या में ही आना चाहिए।’’ उन्होंने साधु-संतों से दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता प्रतीकात्मक रखने की भी अपील की। स्वामी अवधेशानंद ने वृद्धों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा के मद्देनजर मेले से बचने की सलाह दी।

हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कुंभ के समापन की घोषणा नहीं कर रहा हूं। बस मैं इतना कह रहा हूं किकुंभ समापन की ओर बढ़ रहा है और दो बड़े शाही स्नान होने जा रहे हैं। एक शाही स्नान बचा है जिसमें बस बैरागी संत हिस्सा लेते हैं। अन्य का बस सांकेतिक प्रतिनिधित्व होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बैरागी संतों का शाही स्नान होगा ही। प्रशासन उसके आयोजन के लिए कटिबद्ध है। लेकिन मेरी निजी अपील है कि मानवता के लिए चीजें सीमित एवं प्रतीकात्मक हों।’’ गिरि ने निरंजनी आखड़े का बचाव भी किया जिसने हाल ही में घोषणा की थी कि उसके लिए यह कार्यक्रम पूरा हो गया। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर ने यह भी कहा कि उनके अखाड़े के संत कोविड-19 के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। 

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