हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस में सबकुछ ठीक ना होने का किया दावा, कहा- जरूरी नहीं हर आदमी की सोच मिले

नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस में आपसी नाराजगी का दौर जारी है। इसी बीच राज्य कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत का बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने राज्य कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं होने को लेकर बात की है। उन्होंने कहा कि, मैं आपसे कुछ भी छिपाना नही चाहता, रावत ने कहा कि जो नाराज मंत्री थे वे मुझसे मिले नहीं। इस बात के लिए उनका बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करता हूं, वरना मीडिया मेरे दौरे को पूरी तरह उन्हीं से जोड़ देती। इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार की बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ काम सरकार ने ऐसे किए जो बहुत अच्छे हैं अमरिंदर सरकार की ही देन है कि वो बरगाड़ी का मामला सीबीआई के चंगुल से बाहर ले आई। 

इसके अलावा हरीश रावत ने सिद्धू को लेकर भी स्थिति साफ करते हुए बोले की सिद्धू साहब कोई नाराज होकर दिल्ली नहीं गए थे, बल्कि वो अपने मुद्दे लेकर गए थे। मेरे साथ उनकी संगठन के विस्तार और अन्य मुद्दों को लेकर बातचीत हो चुकी है।

पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्दू 
बता दें कि कभी क्रिकेट में खामोश रहने वाले नवजोत सिंह सिद्दू अब जब बोलते है तो सामने वाले की बोलती ही बंद कर देते है। एक जमाने में मैदान में कभी उनका बल्ला बोलता था तो राजनीति में उतरने के बाद जुबान भी ऐसे चलता है कि विरोधी बगलें झांकने के लिये मजबूर हो जाते है। जिससे उन्होंने तेजी से अपने समर्थक बनाये तो कभी विवाद भी बहुतेरे पैदा किये। हालिया चर्चा करें तो नवजोत सिंह सिद्दू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के पहले और ताजपौशी के बाद से ही अपने ही कैप्टन से दो-चार करने पर उतारु नजर आते है। यह सच है कि उनकी पहचान क्रिकेट के कारण परवान चढ़ी। इसलिये वे मैदान में हारी हुई बाजी को पलटते हुए तो कभी जीत के करीब पहुंचकर भी हार को करीब से देखा है।

लेकिन सिद्दू साहब एक और पहलू क्रिकेट की बड़ी बारिकी से देखे है कि टीम के हारने पर पहली गाज कैप्टन पर ही पड़ती है। खासकरके वैसे कैप्टन जो उम्रदराज हो चुके हो। लेकिन ऐसे कैप्टन नहीं जो मैच जीत रहे हो। लेकिन सिद्दू की टीस यहीं है कि जब क्रिकेट में कैप्टन बदल दिये जाते है तो राजनीति में क्यों नहीं? शायद वे राजनीति के इस विशिष्ठ गुण को पहचानने में असमर्थ है कि यहां पारी की अंत किसी दल के कैप्टन खुद तय करते है। इसलिये क्रिकेट की तरह राजनीति में बिरले ही कोई नेता सन्यास की घोषणा करते देखे गए है।    

कांग्रेस आलाकमान भी लड़ाई से आजिज  
दूसरी बात जो सिद्दू के खिलाफ जाती है कि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही उम्रदराज हो चुके हो लेकिन उन्होंने पार्टी को तब पंजाब में जीत दिलायी जब पूरे देश में कांग्रेस की हवा खराब चल रही थी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रिकेट से राजनीति के पिच पर उतरे सिद्दू की लड़ाई अनायास ही उस महारथी से है जो राजनीतिक रुपी मैदान में लंबे समय से टेस्ट खेल रहे है।

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