मुस्लिमों के ज्ञानवापी प्रवेश पर रोक की मांग पर सुनवाई अब 15 को

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद गिराकर हिंदुओं को सौंपने, मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस मुद्दे पर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से जारी दलीलें तीसरे दिन गुरुवार को पूरी कर ली गई। इसमें कानूनी नजीरें दाखिल कर कहा गया कि वाद सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाए।

अंजुमन की दलीलों का जवाब हिंदू पक्ष यानि आदि विश्वेशश्वर के वाद मित्र किरन सिंह की तरफ से अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने दिया। कहा कि मामला पब्लिक इंट्रेस्ट का नहीं है, बल्कि देवता की संपत्ति है। कानूनन देवता नाबालिग हैं, ऐसे में देवता आदि विश्वेश्वर और स्थान विश्वेश्वर का वाद मित्र बनकर किरन सिंह व दो अन्य ने यह वाद दाखिल किया है।

वक्फ कानून हिंदुओं पर नहीं होता लागू

मस्जिद को वक्फ की प्रापर्टी बताते हुए क्षेत्राधिकार को चुनौती देने की दलील पर कहा कि वक्फ बोर्ड का कोई भी कानून हिंदुओं पर लागू नहीं होता है। अधिवक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में जो विश्वनाथ मंदिर बना है, उसे अहिल्याबाई होल्कर ने 1776 में बनवाया था, जबकि मूल आदि विश्वेश्वर का मंदिर ज्ञानवापी परिसर में है, जिसे औरंगजेब ने तोड़कर मस्जिद बनवाया है।

इस बाबत ऐतिहासिक साक्ष्य पेश करते हुए पर्यटन विभाग के बुकलेट की फोटो प्रति कोर्ट में दाखिल की गई। इसमें इस बात का जिक्र है कि वर्तमान मंदिर से थोड़ी दूर आदि विश्वेश्वर का मूल मंदिर है, जिस पर मस्जिद खड़ा कर दिया गया है। मस्जिद वक्फ की प्रॉपर्टी है और राजस्व रिकार्ड में दर्ज है के मुद्दे पर कहा कि यह गलत या सही दर्ज है।

इसको परखने का अधिकार सिविल कोर्ट को है। यह भी कहा कि वक्फ प्रापर्टी तभी हो सकती है, जब इसे कोई गिफ्ट करे, पर किसने गिफ्ट किया और कैसे वक्फ प्रापर्टी हो गया। इस पर विचार सिविल कोर्ट ही करेगी। अभी अदालत में हिंदू पक्ष की तरफ से दलील जारी है और अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 15 अक्तूबर नियत कर दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here