इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ वाराणसी में दर्ज एक पुराने आपराधिक केस को रद्द करने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें आरोपमुक्त करने की अर्जी (उन्मोचन अर्जी) ट्रायल कोर्ट के समक्ष दाखिल करने की छूट दी है। कहा कि उन्हें उन्मोचन अर्जी दाखिल करने का अधिकार है। उनके खिलाफ दो माह या उन्मोचन अर्जी के निस्तारित होने तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने रणदीप सिंह सुरजेवाला की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने उन्मोचन अर्जी दाखिल करने के लिए कांग्रेस सांसद को दो सप्ताह का समय दिया है। कहा है कि यदि वह दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष उन्मोचन अर्जी दाखिल करते हैं तो उस पर विचार किया जाए और छह सप्ताह के भीतर उस पर शीघ्रता से निर्णय लिया जाए। कहा है कि इस दौरान उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
कांग्रेस सांसद के खिलाफ वर्ष 2000 में वाराणसी के कैंट थाने में आईपीसी की धारा 147, 332, 353, 336, 333, 427 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा तीन के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें कहा गया कि कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ उन्होंने आयुक्त के कार्यालय परिसर में जबरन घुसकर हंगामा किया और लोक सेवकों के साथ मारपीट की।
सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि यह मामला उत्पीड़न के उद्देश्य से दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज कराया गया है। इसलिए पूरी कार्यवाही को रद्द कर दिया जाना चाहिए। दूसरी ओर राज्य के वकील ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ कथित अपराध सही है और प्रथम दृष्टया अपराध बन रहा है। कोर्ट ने रिकॉर्ड पर पेश किए गए सबूतों और तथ्यों का अवलोकन करने के बाद कहा कि कांग्रेस सांसद के खिलाफ कोई अपराध बनता है या नहीं, इसे इस स्तर पर नहीं कहा जा सकता है। इसलिए वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष उन्मोचन अर्जी दाखिल कर सकते हैं।