हिमाचल: सीएम सुक्खू ने जारी की जिला सुशासन सूचकांक की वार्षिक रिपोर्ट

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को आर्थिकी और सांख्यिकी विभाग की ओर से तैयार हिमाचल प्रदेश जिला सुशासन सूचकांक पर वार्षिक रिपोर्ट-2022 जारी की। इस रिपोर्ट में आठ मूल विषय, 19 केंद्र बिंदु तथा 90 विशिष्ट कारक शामिल किए गए हैं। वर्ष-2022 की रैंकिंग के अनुसार जिला कांगड़ा ने 50 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार, जिला हमीरपुर 35 लाख रुपये का द्वितीय पुरस्कार और जिला लाहौल-स्पीति ने 25 लाख रुपये का तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कांगड़ा के उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल, हमीरपुर के उपायुक्त हेमराज बैरवा और लाहौल-स्पीति के उपायुक्त राहुल कुमार को यह पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।

सुशासन के साथ पारदर्शी व जवाबदेह सरकार अनिवार्य:सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों के कल्याण के लिए सुशासन के साथ पारदर्शी व जवाबदेह सरकार अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि प्रशासन और शासन की मूल इकाई जिला है। जिलों के प्रदर्शन को नागरिक कल्याण की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन तथा समावेशी विकास के लिए विभिन्न महत्त्वपूर्ण सुशासन संकेतकों पर मापा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति और आगामी चुनौतियों के दृष्टिगत राज्य में विकास के प्रतिमानों में बदलाव की आवश्यकता है। हिमाचल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली व जल आपूर्ति सहित विविध क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न विकास संकेतकों पर कई अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। हिमाचल समावेशी तथा समग्र विकास के आदर्श राज्य के रूप में उभरा है।

सभी जिलों का तुलनात्मक आंकलन हुआ
जिला सुशासन सूचकांक की चौथी रिपोर्ट 12 जिलों के माध्यमिक आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इसके अंतर्गत सभी जिलों के तुलनात्मक आंकलन के लिए सभी आंकड़े एकत्रित किए गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल देश का पहला राज्य है,जिसने महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रशासन की गुणवत्ता मापने का कार्य शुरू किया है। जिला सुशासन सूचकांक-2022 में आठ मूल विषय आवश्यक बुनियादी ढांचा, मानव विकास, सामाजिक संरक्षण, महिलाएं एवं बच्चे, अपराध, कानून एवं व्यवस्था, पर्यावरण, पारदर्शिता और जवाबदेही और आर्थिक प्रदर्शन शामिल हैं। दूसरे स्तर पर 19 केंद्र बिंदु रखे गए हैं, जिनमें से प्रत्येक विषय के अंतर्गत बिजली, पानी, सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक वितरण योजना, सामाजिक न्याय, रोजगार, बच्चों और महिलाओं से संबंधित विषय, हिंसक अपराध, कानून एवं व्यवस्था, अत्याचार, पर्यावरण उल्लंघन, वन क्षेत्र, पारदर्शिता और दायित्व, अर्थव्यवस्था में कृषि और संबद्ध क्षेत्र तथा वाणिज्य और उद्योग के रूप में योगदान से संबंधित मामले शामिल हैं। तीसरे स्तर पर 90 विशिष्ट कारकों के आधार पर जिलों में उपलब्ध आंकड़ों का एकीकरण तथा विश्लेषण किया गया है। जिला स्तर सूचकांकों के त्रीस्तरीय मूल्यांकन के आधार पर सभी 12 जिलों की रैंकिंग की गई है। 

सुशासन सूचकांक तत्काल सुधार के लिए सहायक: प्रबोध सक्सेना 
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि जिला सुशासन सूचकांक तत्काल सुधार के लिए मजबूत और कमजोर क्षेत्रों की पहचान करने में सहायक है और जिलों की रैंकिंग को मापता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के मूल्यांकन मापदंड पिछले वर्षों से काफी भिन्न हैं, क्योंकि इनमें जनजातीय जिलों को भी समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता स्वीकार की गई है। प्रधान सचिव, वित्त मनीष गर्ग ने कहा कि इस वर्ष की रिपोर्ट में जिलों और संबंधित विभागों को विशिष्ट संकेतकों में सुधार के लिए एक रोडमैप तैयार करने में सक्षम बनाया जाएगा। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव वित्त डॉ. अभिषेक जैन, आर्थिक सलाहकार डॉ. विनोद कुमार, विभिन्न जिलों के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक भी उपस्थित थे।

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