हिमाचल: सामान्य वर्ग आयोग के गठन की अधिसूचना जारी

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला का तपोवन विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन तप उठा। जोरावर स्टेडियम में सवर्ण आयोग की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों के आगे प्रदेश सरकार को झुकना पड़ा। तमाम प्रयासों और आश्वासनों पर न मानने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को विधानसभा सदन से सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा करनी पड़ी। इसके तुरंत बाद सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। ऐसा पहली बार है जब सरकार को मांगें मानने के लिए चंद घंटों में बाध्य होना पड़ा। शुक्रवार सुबह सत्र शुरू होने से पहले ही सवर्ण आयोग की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारी जोरावर स्टेडियम में जुट गए। पूरे प्रदेश से सवर्ण समाज के लोग धर्मशाला पहुंच गए।

प्रदर्शनकारी सभी विधायकों का गंगाजल से शुद्धिकरण की मांग भी करते रहे। भीड़ बढ़ती गई और प्रदर्शन उग्र हो गया। जैसे ही पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ी प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और उन्होंने बेरिकेड तोड़ दिए और पुलिस पर पथराव किया। कुछ गाडि़यों के शीशे टूट गए। पुलिस कर्मी और प्रदर्शनकारियों में धक्कामुक्की शुरू हो गई। इस दौरान कुछ पुलिस कर्मचारी और पत्रकार घायल हुए। बेरिकेड तोड़ प्रदर्शनकारी विधानसभा की ओर जाने लगे। हजारों कर्मियों के विधानसभा की ओर बढ़ने की सूचना पर सभी गेट बंद कर दिए गए।इससे पहले जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी एक न चली।

फिर डीजीपी संजय कुंडू और मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने कई राउंड आंदोलनकारियों से बात कर उन्हें मनाने का प्रयास किया। बात न बनने पर मुख्यमंत्री के आदेश पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, सुखराम चौधरी, राकेश पठानिया व कई अन्य विधायक प्रदर्शनकारियों को समझाने पहुंचे। आखिर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करीब साढ़े तीन बजे खुद प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और तीन महीने के भीतर आयोग के गठन का एलान कर दिया, लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोगों ने लिखित में आश्वासन मिलने तक प्रदर्शन जारी रखने का एलान कर दिया। आखिरकार मुख्यमंत्री को सदन के भीतर इसका एलान करना पड़ा, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मंत्रोच्चारण व गंगाजल छिड़क कर प्रदर्शन को खत्म किया।


अधिसूचना के बाद मंत्रोच्चारण और गंगाजल छिड़ककर प्रदर्शन को खत्म किया
हालात संभलने के बाद पहले चरण में जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी एक न चली। फिर डीजीपी संजय कुंडू और मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने कई राउंड आंदोलनकारियों से बात कर उन्हें मनाने का प्रयास किया। बात न बनने पर मुख्यमंत्री के आदेश पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, सुखराम चौधरी, राकेश पठानिया व कई अन्य विधायक प्रदर्शनकारियों को समझाने पहुंचे। आखिर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करीब साढ़े तीन बजे खुद प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और 3 महीने के भीतर आयोग के गठन का एलान कर दिया, लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोगों ने लिखित में आश्वासन मिलने तक प्रदर्शन जारी रखने का एलान कर दिया। आखिरकार मुख्यमंत्री को सदन के भीतर इसका एलान करना पड़ा, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मंत्रोच्चारण व गंगाजल छिड़क कर प्रदर्शन को खत्म किया।


विक्रमादित्य को छोड़ सब विधायकों और सरकार का करवाएंगे शुद्धिकरण
सवर्ण मोर्चा के प्रतिनिधियों का कहना था कि सवर्ण समाज के गठन में मात्र शिमला ग्रामीण क्षेत्र के विधायक विक्रमादित्य ने अपना समर्थन दिया है। प्रदेश सरकार और अन्य विधायकों ने गठन को लेकर अभी तक चुप्पी साधी है। विधायक विक्रमादित्य के अलावा प्रदेश सरकार के सभी मंत्रियों सहित अन्य सभी दलों के विधायकों का जोरावर स्टेडियम में बुलाकर हरिद्वार से लाए गए पवित्र गंगाजल से शुद्धिकरण किया जाएगा, ताकि प्रदेश सरकार और विपक्ष सवर्ण आयोग के गठन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

नाटी डालकर किया प्रदेश सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन 
सवर्ण आयोग के गठन के लिए लोगों ने जोरावर स्टेडियम में नाटी डालकर सरकार के विरुद्ध जोरदार प्रदर्शन किया। स्टेडियम में इकट्ठे हुए सवर्ण समाज के लोगों ने वाद्ययंत्रों की तान पर नृत्य करते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 

प्रदर्शन के दौरान जमकर हुई कोरोना नियमों की अवहेलना
सवर्ण आयोग के गठन को लेकर जोरावर स्टेडियम में हुए प्रदर्शन में लोगों ने जमकर कोरोना नियमों की अवहेलना की। हजारों की संख्या में पहुंचे सवर्ण समाज के लोगों के मुंह में न किसी तरह का मास्क दिखा और न किसी तरह की उचित दूरी के नियम की पालना की गई।

 
पहले ही दिन सदन से लेकर सड़क तक घिरी सरकार
 धर्मशाला में अपना अंतिम शीत सत्र आयोजित कर रही जयराम सरकार पहले ही दिन सड़क से लेकर सदन तक में घिरती दिखी। उपचुनाव में मिली हार के बाद वैसे तो सरकार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधानसभा के भीतर आक्रामक रहने का अंदाजा लगाए बैठी थी, लेकिन माकपा विधायक की मदद से विपक्ष ने पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सरकार को घेरने का नया पैंतरा चल दिया। हालांकि, संख्या बल में कमी की तकनीकी खामी को नियमों की ढाल के जरिये पकड़कर सरकार ने अपना बचाव जरूर कर लिया, लेकिन इधर राहत पा रही सरकार की नाक में विधानसभा के बाहर नाराज प्रदर्शनकारियों ने दम कर दिया।

हालात इतने खराब हो गए कि सरकार को प्रदर्शनकारियों के आगे झुकना पड़ा और उनकी मांग के अनुसार लिखित में एलान भी करना पड़ा। शनिवार को एनपीएस समेत कई अन्य संगठनों ने भी प्रदर्शन का एलान कर रखा है। चूंकि, सरकार के प्रदर्शनकारियों के आगे झुककर जनता पर अपनी कमजोर पकड़ को जाहिर कर दिया है। ऐसे में अब चुनावी साल की शुरुआत से पहले अन्य संगठन भी सरकार पर पूरा दबाव बनाने का प्रयास करेंगे। उधर, विपक्ष ने भी अपने तरकश में रखे तीरों को छोड़ना शुरू कर दिया है। ऐसे में यह साफ है कि सरकार के लिए यह सत्र कांटों भरी राह से कम नहीं रहेगा।

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