सीवर सफाई में हुई दुःखद मौतें !

गत 23 अप्रैल, 2024 को मुजफ्फरनगर के किदवई नगर में स्थित एटूजेड प्लांट के समीप सीवर की सफाई करते समय दम घुटने के कारण हाजी शमीम तथा वाजिद की मृत्यु हो गई। पाइप के भीतर आक्सीजन की कमी से जहरीली गैस से जब ये दोनों श्रमिक बेहोश हो गए तो इन्हें मुजफ्फरनगर के राजकीय अस्पताल लाया गया और वहीं इन दोनों की मृत्यु हो गई।

नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत जल निगम ने सीवर की सफाई व रखरखाव का काम जयपुर की फर्म लाहोटी बिल्डकॉन लिमिटेड कम्पनी को दिया हुआ है। यह निश्चित रूप से प्रमाणित हो चुका है कि ठेकेदार तथा विभागीय इंजीनियरों और नगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग या जिले के सबसे बड़े हाकिम- जिला अधिकारी ने सफाई श्रमिकों की सुरक्षा के प्रति रंचमात्र भी जिम्मेदारी नहीं बरती। सफाईकर्मियों को निर्धारित मानकों के अनुसार निश्चित यूनिफार्म यानी स्टैंडर्ड यूनिफॉर्म किट (पीपीएफ) नहीं दी गई। किसी भी जिम्मेदार अधिकारी, विभाग अथवा ठेका कम्पनी ने सुरक्षा नियमों के पालन की ओर ध्यान नहीं दिया।

सीवरों की सफाई के दौरान सुरक्षा उपायों की अनदेखी व मास्क तथा आक्सीजन गैस की अनउपलब्धता के कारण सफाई श्रमिकों के मौत की दुःखद घटनाएं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। 14 दिसंबर, 2022 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में बताया था कि वर्ष 2021-22 में सीवर सफाई के दौरान 233 सफाईकर्मियों की मृत्यु हुई। राजकीय आंकड़ों के अनुसार 2017 में 117 श्रमिकों की मृत्यु हुई थी। सीवर सफाई के समय अहतियात न बरतने तथा सुरक्षा उपायों के प्रति घोर लापरवाही बरते जाने से माननीय सर्वोच्च न्यायलय भी चिंतित हो उठा। सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च, 2014 को केन्द्र सरकार को आदेश दिया कि वह सीवर सफाई के समय हुई मौतों का राज्यवार ब्यौरा पेश करे।

1 अक्टूबर, 2021 से, जब से स्वच्छ भारत मिशन योजना लागू हुई, भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने सीवर तथा सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान संचालन प्रक्रिया का पालन अनिवार्य रूप से निश्चित कर दिया। सफाई के समय रिस्पांस सैनिटेशन यूनिट यानी ईआरएसयू का होना मौके पर जरूरी है। सफाई के लिए गाइडलाइन अर्थात सफाई कार्य की पुस्तिका छापी गई है जिसमें उल्लेखित नियमों का पालन जरूरी है। यह निर्देशित किया गया है कि सीवर की सफाई मशीन से कराने को प्राथमिकता दी जाए। यदि कहीं मैनुअली सफाई अनिवार्य हो तो स्थानीय निकाय के मुख्य स्वास्थ्य आधिकारी को लिखित सूचना दी जाये। जिला अधिकारी अथवा नगर निगम या स्थानीय निकाय के अधिशासी अधिकारी के संज्ञान में सफाई कार्य का विवरण होना चाहिए।

निश्चित रूप से मुजफ्फरनगर के किदवई नगर में सीवर सफाई के दौरान सुरक्षा के उपाय और शासन द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं हुआ। मुजफ्फरनगर कोतवाली पुलिस ने ठेकेदार, इंजीनियर जयबीर राठौर व मुकुल तथा प्रबंधक अनूप शर्मा के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का मुकद‌मा दायर कर लिया है। भारत में वादों के निर्धारण में 10-10, 20-20 साल या इससे भी अधिक समय लग जाता है। न्याय के लिए गरीब परिवारों को लम्बा इन्तजार करना पड़ेगा। जिन लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ है, देर-सवेर उन्हें दंड मिल सकता है किन्तु जो अप्रत्यक्ष रूप से इन मौतों के प्रति उत्तरदायी हैं, उन्हें सजा कौन देगा? लापरवाही बरतने वाले आधिकारियों को जवाबदेह न बनाने के कारण ही ये जानलेवा दुर्घटनायें होती हैं, सिर्फ मुजफ्फरनगर में ही नहीं पूरे देश में ऐसा होता है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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