रुक नहीं रहा पाकिस्तान में हिन्दू उत्पीड़न !

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के शहर सुक्कुर में रहने वाला हिन्दू समाज इन दिनों बहुत आक्रोषित और उत्तेजित है। कारण वही पुराना है- हिन्दुओं का दमन एवं उत्पीड़न।
कुछ दिन पूर्व कट्टरपंथी मुसलमानों ने मिलकर प्रिया कुमारी नामक हिन्दू लड़की का अपहरण कर लिया। परिजनों ने पुलिस को सूचना दी तो पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। लड़‌की का अभी तक कोई अता-पता नहीं। परिवार को शंका है कि अपहरण के बाद उसे इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर किया गया है और उसका जबरन निकाह करा दिया गया है।

हिन्दू लडकियों के अपहरण और बलात् धर्म परिवर्तन की यह अकेली घटना नहीं है। मानव अधिकार एजेंसियों तथा आपराधिक सर्वे के अनुसार पाकिस्तान में प्रतिवर्ष 1,000 हिन्दू लड़‌कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कर उनका मुस्लिम नाम रख कर निकाह कराया जाता है किन्तु पाकिस्तान की सरकार, प्रशासन-पुलिस व न्यायपालिका इस ज्याद‌ती की घोर उपेक्षा करते हैं। यहां तक कि मानव अधिकार व सामाजिक संगठन भी इस अत्याचार और मजहबी दमनचक्र की ओर से आँखे बंद रहते हैं।

सुक्कुर जैसी घटनायें होना पाकिस्तान में आम हैं। गत 30 मई, 2023 को सिंध में 9 वर्ष की हिन्दू लड़‌की का अपहरण कर‌ उसको मौलवी ने कलमा पढ़वाया और 55 वर्ष के अधेड़ मुसलमान से अबोध हिन्दू लड़की का निकाह करा दिया गया। पाकिस्तान के नेता, सरकार, मीडिया और न्यायपालिका इस जुल्म पर चुप रहे। 9 जून, 2023 को सिंध प्रान्त के सुक्कुर में हिन्दू लड़की का धर्म परिवर्तन और जबरन निकाह कराने के उद्देश्य से अपहरण किया गया। पिता दलीप कुमार ने नसीराबाद थाने को अपहरण की सूचना दी, परिणाम कुछ नहीं निकला। 18 अक्टूबर, 2023 को मीरपुर खास से रंजिता कोहली नामक हिन्दू लड़‌की का अपहरण हुआ। पुलिस पूरी तरह निष्क्रय रही। 22 जनवरी को अमरकोट जिले की हिन्दू विवाहिता का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया गया। पकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के थार, उमरकोट, मीरपुर खास, घोटकी, खैरपुर में बसे हिन्दुओं की महिलाओं व लड़‌कियों की आबरू सुरक्षित नहीं। आये दिनों अपहरण, बलात्कार व जबरन धर्म परिवर्तन होते रहते हैं जिन पर कोई अंकुश नहीं। पाकिस्तान की सरकार या वहां के नेता ही नहीं बल्कि वहां की जनता भी ऐसे कुकृत्यों का समर्थन करती है।

पाकिस्तान में हिन्दुओं का निरन्तर दमन और जबरन धर्म परिवर्तन हो रहा है। विभाजन के समय पाकिस्तान में 22 प्रतिशत हिन्दू आबादी थी जो इस्लामीकरण की वजह से घट कर मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है। इसके उलट भारत में विभाजन के समय 6 करोड़ मुसलमान थे। जिनकी संख्या बढ़कर 25 करोड़ हो गई है। असदुद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी 25 करोड़ मुसलमानों के बल पर 100 करोड़ हिन्दुओं को निपटाने की बात डंके की चोट पर कहते हैं। पीएफआई 2047 तक गजवा-ए-हिन्द की प्लानिंग करने में जुटी है।

मोदी सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में बसे हिन्दुओं, सिखों, जैन आदि को भारत में नागरिकता देने के लिए सीएए बनाया तो न सिर्फ तौकीर रजा, ओवैसी, बदरुद्दीन, मदनी जैसों को परेशानी हुई बल्कि ममता बनर्जी, केजरीवाल, राहुल, अखिलेश तथा वामपंथी भी परेशान हो उठे और मुस्लिम समाज को बरगलाने के लिए मिथ्या प्रचार में जुटे हैं। इनमें से एक भी शख्स पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की भूल कर भी निन्दा नहीं करता।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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