ममता का कुशाशन कैसे ख़त्म होगा ?

6 अप्रैल, 2024 को मेदनीपुर में केन्द्रीय जांच दल पर टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा हमला और एनआईए के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के घायल हो जाने का समाचार पुराना हो गया है। नया समाचार यह है कि पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि मेदनीपुर में ग्रामीणों पर एनआईए वालों ने हमला किया है, ग्रामीणों ने नहीं।

ममता से जब पत्रकारों ने एनआईए टीम पर हमले का सवाल उठाया तो उन्होंने कहा कि आधी रात को छापा मारने की क्या जरूरत थी? फिर आरोप जड़ा कि ईडी, सीबीआई व एनआईए छापे मार-मार कर टीएमसी के बूथ कार्यकर्ताओं को इसलिए पकड़‌ रही है ताकि तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हार जाए।

ममता ने अपनी राजनीतिक स्वार्थलिप्सा में पश्चिमी बंगाल को नर्क बना डाला है। अभी कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस टी. एस. शिवगणनम व जस्टिस हिरण्मय ने कहा है कि संदेशखाली की वीभत्स घटनों के लिए ममता सरकार 100 प्रतिशत जिम्मेदार है।

ममता का ममता नाम और दीदी जैसा सम्मानित संबोधन राक्षसी वृत्ति की महिला के लिए हरगिज़ भी उपयुक्त नहीं है। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस महिला ने गुण्डों, मवालियों, घुसपैठियों की फौज इकट्ठी की, घोटालों, पशु तस्करी व सरकारी नौकरियों को दलालों के जरिये नीलाम किया, चिटफंड कंपनी की आड़‌ में गरीबों का अरबो रुपया लुटवाया।

राजनीतिक प्रतिद्वंदियों की हत्यायें कराई। विरोधी दलों के दर्जनों कार्यालय भस्म कराये। यहां तक कि मीडिया कर्मियों, केंद्रीय एजेंसियां की टीमों, चुनाव कर्मचारियों तक पर हमले कराये। न्यायपालिका के माननीय न्यायधीशों और इतना ही नहीं राज्यपालों तक से अभद्रता कराई। रामनवमी व दुर्गापूजा की यात्राओं पर हमले कराके उसका दानवी चेहरा पूरी तरह सामने आ गया। ममता ने ऐसा कोई अपराध नहीं छोड़ा जो बचा हो।

हर ‌बार मांग उठती है कि पश्चिमी बंगाल से ममता की बर्बरता और जंगल राज ख़त्म किया जाए। शायद यह पवित्र कार्य जनता के जिम्मे छोड़ दिया गया है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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