“अराजनीतिक नेताओं के राजनीतिक कारनामे”
इसमें कोई सन्देह नहीं रह गया कि राजधानी को घेरने वाला 13 मास का कथित किसान आन्दोलन पूरी तरह से राजनीतिक था। और हाल ही में हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर अटके कथित किसान नेताओं का फिर से दिल्ली घेरने का इरादा पूर्णत: राजनीतिक ही था। ये लोग राजधानी को घेर कर चुनाव के ऐन मौके पर राजनीति की शतरंज खेलना चाहते थे।
खबर आई है कि शंभू बॉर्डर पर ग़दर काटने वाले मजदूर किसान मोर्चा के कोऑर्डिनेटर सरवन सिंह पंढेर अपने साथ गुरमीत सिंह, मनजीत सिंह व हरविन्दर सिंह को साथ लेकर तमिलनाडु के शहर कोयम्बटूर जा धमके और वहां भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तथा लोकसभा के उम्मीदवार अन्नामलाई के विरुद्ध रौला काटने लगे। नरेन्द्र मोदी का पुतला फूंकने से पहले ही पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। किसान हित के नाम पर राजनीति करने वालों की पोल अब ऐसे ही खुलेगी।
“सेना की महारथ”
भारतीय सेना के पराक्रम और उसके हौसले पर प्रश्नचिह्न लगाने वाले नेताओं के लिए विशेष खबर। रविवार को उन्नाव के समीप लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे की हवाई पट्टी पर हमारी वायुसेना ने सुखोई, मिराज व एएन 32 विमानों ने दौड़ लगा अपनी दक्षता व क्षमता का प्रदर्शन किया। केजरीवाल तो तिहाड़ जेल में हैं, राहुल को तो वायुसेना के करतबों की प्रशंसा करनी चाहिये थी !
“अखिलेश की मातमपुरसी”
हत्या, अपहरण, रंगदारी और जायदादों को जबरन कब्ज़ाने वाले दुर्दांत माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर श्रद्धांजलि अर्पित करने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव 7 अप्रैल को गाजीपुर पहुंचे और सांसद अफजाल अंसारी, विधायक सुहेल अंसारी से मिलकर शोक जताया। मीडिया से कहा कि मुख्तार जी को जहर देकर मारने की घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की देखरेख में होनी चाहिए। साथ ही यह भी कह दिया कि जेलों में पहले भी ऐसे कांड हुए हैं लेकिन अखिलेश ने यह नहीं बताया कि जिन लोगों की हत्यायें मुख्तार ने की या कराई, उन पीड़ितों के यहां शोक प्रकट करने कब जायेंगे।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’