सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश, जनप्रतिनिधियों के खिलाफ केस बिना हाईकोर्ट की अनुमति के नहीं होंगे वापस

राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण के एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वह बिना हाईकोर्ट की इजाजत के सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस न हीं ले सकेंगी. इसी बीच कोर्ट ने  MP/MLA के खिलाफ केस के तेज़ निपटारे के लिए विशेष कोर्ट बनाने के मसले पर केंद्र की तरफ से विस्तृत जवाब न आने पर नाराज़गी भी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि हम  सरकार को  जवाब देने का अंतिम मौका दे रहे है. इस मामले में 25 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. 

राजनीति के अपराधीकरण के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि उम्मीदवारों के ऐलान के 48 घंटे के भीतर सभी राजनीतिक दलों को उनसे जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी उम्मीदवार पर आपराधिक मुकदमा दर्ज है. या उम्मीदवार किसी मामले में आरोपी है तो इसके बारे में 48 घंटे भीतर जानकारी दी जाए.उम्मीदवारों की आपराधिक जानकारी सार्वजनिक करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले में सुधार करते हुए यह आदेश सुनाया है.

शीर्ष अदालत के इस फैसले का मकसद राजनीति में अपराधीकरण को कम करना है. जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने इस संबंध में अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले में सुधार किया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के आपराधिक रिकॉर्ड वाली गाइडलाइन्स को और सख्त किया है.   

फरवरी 2020 के फैसले के पैरा 4.4 में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को आदेश दिया था कि उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले उनका विवरण प्रकाशित करना होगा. लेकिन आज इस फैसले को संशोधित करते हुए शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया है कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों के एलान के 48 घंटे के भीतर मुकदमों की जानकारी देनी होगी.

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