बिजनौर में वृद्धा एक वक्त ही रोटी खाकर अपनी दो पौत्रियों के संग जिंदगी बसर करने पर मजबूर

घर में न बिजली है न पानी, खाना भी मयस्सर नहीं हो रहा है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी वृद्धा सिर्फ एक वक्त ही रोटी खाकर अपनी दो पौत्रियों के संग जिंदगी बसर कर रही है। इतना ही नहीं गरीबी ममता पर भी भारी पड़ गई। लालन-पालन नहीं हुआ तो वृद्धा ने दो साल की एक पौत्री रिश्तेदार को सौंप दी। 60 वर्षीय शकुंतला की कहानी ही कुछ ऐसी है। सरकार से मिलने वाला मुफ्त का राशन भी अब नहीं मिलता है। किसी तरह घरों में झाडू पोंछा करके दोनों बच्चियों के लिए एक वक्त की रोटी का जुगाड़ करती है।

शुगर मिल के पास सर्वोदल कॉलोनी में रहने वाली शकुंतला देवी (60) पत्नी स्व. धर्मपाल की जिंदगी मुफलिसी ही नहीं बल्कि दिक्कतों में गुजर रही है। शकुंतला के पति की मौत 15 साल पहले बीमारी के कारण हो गई थी।

एक बेटी की शादी कर दी। एक बेटा अपने परिवार के साथ अलग रहने लगा। दूसरे बेटे की छह महीने पहले मौत हो गई। इसके बाद शकुंतला के जीवन में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। दूसरे बेटे की बहू तीन बेटियों को छोड़कर अपने घर चली गई। अब साठ साल की उम्र में शकुंतला पर तीन पौत्रियों के लालन पालन का बोझ आ पड़ा।

यह भी पढ़ें: Murder And suicide: साथ जिए, साथ मरेंगे कहकर तमंचे से प्रेमिका पर दाग दीं चार गोलियां, एकसाथ जली दोनों की चिताएंजरूरतों को पूरा नहीं कर पाई तो दो साल की पौत्री एक रिश्तेदार को सौंप दी। अब एक छह साल और दूसरी चार साल की पौत्री अपनी दादी शकुंतला के संग रह रही है। इनमें भी एक छह साल की पौत्री मानसिक रूप से कमजोर है। इन्हें खाना कहां से खिलाए, इसके लिए उम्र के आखिरी पड़ाव में शकुंतला ने घरों में झाडू-पोंछा लगाना शुरू किया। छोटी पौत्री को अपने संग ले जाती है, जबकि बड़ी पौत्री को घर में बंद करके जाती है। इसमें भी डर बना रहता है कि कहीं अकेले घर पर रह गई बच्ची के साथ कोई घटना न घट जाए।

घर में सिलिंडर है, लेकिन महीनों से नहीं भरी गैस
शकुंतला ने बताया कि एक बार ही खाना बनाती हूं, उसी से दिनभर काम चला लेते हैं। यूं तो घर में सिलिंडर है, लेकिन गैस महीनों से नहीं भरवा सकी। बिजली कनेक्शन भी नहीं है। ऐसी गर्मी में बिन बिजली शहर में रहना कितना मुश्किल है, यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। सिर्फ बिजली ही नहीं, बल्कि पानी का भी कोई साधन नहीं है।

घर में न नल है और न टंकी का कनेक्शन। सरकार की ओर से मिलने वाला राशन भी अब बंद हो गया है। ऐसे में बुजुर्ग महिला पौत्रियों को खाना खिलाए तो कहां से, खुद की चिंता में नहीं बल्कि मासूम बच्चियों की भूख उसे परेशान करती है। किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता।

टीम को भेजकर जांच कराई जाएगी। यदि महिला सरकारी योजनाओं की पात्र है तो उसकी मदद कराने का प्रयास किया जाएगा

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