भगवान शिव के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर है. यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसे शिव के भक्तों के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. सोमनाथ मंदिर को कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया. यहां ज्योतिर्लिंग हवा में स्थापित था, जिसे लोहे से बनाया गया था और मंदिर की छत पर लगे एक बड़े मैग्नेटाइट के चुंबक से हवा में स्थापित किया गया था.

11वीं शताब्दी में यानी 1000 साल पहले जब महमूद गजनवी ने भारत पर हमला किया था, तब उसने सोमनाथ मंदिर समेत कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया था. जब वह सोमनाथ मंदिर पहुंचा था, तो वह ज्योतिर्लिंग को हवा में स्थापिक देखकर हैरान रह गया था. तब उसने इसे तोड़ दिया था, लेकिन अब शिवलिंग के अंश मिलने का दावा किया जा रहा है. श्रीश्री रविशंकर ने शिवलिंग के अंशों को पुनर्स्थापित करने का काम अपने जिम्मे लिया है.

अलग-अलग जगहों पर अंशों की पूजा

कहा जाता है कि ये शिवलिंग बहुत चुंबकीय और जमीन से डेढ़-दो फीट हवा में स्थापित था. शिवलिंग को तोड़े जाने जाने के बाद उस समय के संतों ने फैसला किया था कि वह इस शिवलिंग के अंशों की पूजा करेंगे और जब सही समय आएगा तो शिवलिंग को फिर से स्थापित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि कई सालों से अलग-अलग जगहों पर उस शिवलिंग के अंशों की पूजा होती आ रही है.

दोबारा स्थापित किया जाएगा शिवलिंग

पिछली शताब्दी में प्रणदेव सरस्वती के हाथ में ये शिवलिंग आया था. इसके बाद वंश परंपरा के चलते ये शिवलिंग पंडित सीताराम शास्त्री के हाथ में आया तो वह शिवलिंग को लेकर शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती के पास गए. उन्होंने बेंगलुरु में श्रीश्री रविशंकर के पास लेकर जाने की बात कही और बताया कि वह इसकी प्रतिष्ठा में मदद करेंगे. ऐसे में अब इस शिवलिंग को सोमनाथ मंदिर में फिर से स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है और इसका जिम्मा खुद श्रीश्री रविशंकर ने अपने हाथों में लिया है.