मुंबई में 26/11 आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम का नया बयान सियासी बहस का कारण बन गया है। चिदंबरम ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के हमले के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई पर गंभीरता से विचार किया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर अमेरिका की अपील पर युद्ध का रास्ता नहीं चुना गया।
“दिल्ली पर था पूरी दुनिया का दबाव”
चिदंबरम ने बताया कि हमले के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ जवाबी सैन्य कार्रवाई पर चर्चा भी हुई थी। उन्होंने कहा कि उस समय उनके मन में बदले की कार्रवाई का विचार आया था, लेकिन अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस समेत कई देशों के नेताओं ने भारत को संयम बरतने की सलाह दी। चिदंबरम के अनुसार, विदेश मंत्रालय और कूटनीतिक हलकों की राय भी यही थी कि युद्ध से बचा जाए।
बीजेपी का पलटवार
चिदंबरम के बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिदंबरम के इंटरव्यू का एक अंश साझा करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधे संवाद का नतीजा था, न कि किसी तीसरे देश के दबाव का।