गुजरात में यूसीसी ड्राफ्ट तैयार करने वाली रंजना देसाई के 5 बड़े फैसले

गुजरात में भी सामान्य नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य सरकार ने रिटायर जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया है, जो यूसीसी पर ड्राफ्ट तैयार कर 45 दिनों में सरकार को सौंपेगी. उत्तराखंड में भी रंजना देसाई की टीम ने ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया था.

रंजना देसाई कई बड़े मौकों पर बीजेपी सरकार के लिए रिपोर्ट तैयार कर चुकी हैं. इतना ही नहीं, जस्टिस रहते हुए भी रंजना ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिसकी खूब चर्चा हुई.

वकालत में कैसे आईं रंजना देसाई?

एलफिंस्टन कॉलेज मुंबई से शुरुआती पढ़ाई-लिखाई करने के बाद रंजना एलएलबी करने के लिए मुंबई के सरकारी कॉलेज चली गईं. यहां से निकलने के बाद रंजना ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की. रंजना ने अपने एक लेख में लिखा था कि मेरे पिता मुंबई के मशहूर वकील थे, लेकिन वे नहीं चाहते थे कि मैं वकालत करूं.

रंजना के मुताबिक पहला केस उन्हें जमानत दिलाने को लेकर मिला. उस केस में उन्हें 35 रुपए की फीस मिली थी. रंजना 1996 में हाई कोर्ट की जज नियुक्त हुईं. 2011 में रंजना सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं.

जज रहते रंजना देसाई के अहम फैसले

2011 में सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त होने के बाद रंजना देसाई को उस बेंच का हिस्सा बनाया गया, जो सर्वोच्च अदालत में अजमल कसाब मामलों पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने अजमल कसाब को फांसी की सजा सुनाई. उस वक्त देश में सहारा और सेबी का मामला भी सुर्खियों में था.

देसाई इस मामले में सुनवाई करने वाली बेंच में भी शामिल थीं. देसाई की बेंच ने सहारा के खिलाफ फैसला दिया. रंजना की पीठ ने भी यह फैसला सुनाया कि भारत के न्यायाधीश कार्यालय भी आरटीआई के दायरे में आ सकता है.

इतना ही नहीं, रंजना देसाई ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि अगर दोषी व्यक्ति को लेकर निर्णय लेने में देरी होती है, तो उसे मृत्युदंड की सजा नहीं दी जा सकती है. रंजना की बेंच ने ही नित्यानंद के पौरुष टेस्ट कराने का आदेश दिया था.

रंजना की बेंच ने अपने एक फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को ज्यादा दिनों तक जेल में नहीं रखा जा सकता है. 2012 में रंजना देसाई की बेंच ने 10 साल में हज सब्सिडी पूरी तरह खत्म करने का आदेश दिया था. उन्होंने हज सब्सिडी को खत्म करने को जायज ठहराया था.

रिटायर जज रंजना देसाई के अहम फैसले

रंजना देसाई 2014 में रिटायर हो गईं. इसके बाद उन्हें कई कमेटी का जिम्मा सौंपा गया. इनमें लोकपाल सर्च कमेटी, परिसीमन आयोग और प्रेस काउंसिल प्रमुख हैं. रंजना देसाई को 2020 में जम्मू कश्मीर में परिसीमन का जिम्मा सौंपा गया था. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार घाटी में परिसीमन किया गया था.

रंजना को असम और अरुणाचल के साथ भी मणिपुर में भी परिसीमन आयोग का जिम्मा सौंपा गया था. असम और कश्मीर परिसमीन को लेकर रंजना देसाई पर सवाल भी उठे. उन पर मुस्लिम बहुल इलाकों में भेदभाव का आरोप लगा.

रंजना देसाई को इसके बाद लोकपाल सर्च कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया. उत्तराखंड सरकार ने सामान्य नागरिक संहिता लागू करने का फैसला किया तो उस वक्त ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी रंजना देसाई को ही मिली.

देसाई की अध्यक्षता वाली टीम ने उत्तराखंड में नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया. इस ड्राफ्ट में आदिवासियों को अलग से रियायत दी गई. उत्तराखंड पहला राज्य है, जहां नागरिक संहिता लागू करने का फैसला किया गया है.

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