प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य विधानसभा में गुजरात जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025 पारित किया गया। इसका उद्देश्य ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को बढ़ावा देना है।
उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने सदन में बिल प्रस्तुत करते हुए कहा कि राज्य सरकार पारदर्शिता और सरलता की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। इस विधेयक के तहत 11 कानूनों और नियमों के अंतर्गत आने वाले लगभग 516 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया गया है। छोटे और कम गंभीर उल्लंघनों के लिए अब कैद का प्रावधान हटाकर वित्तीय पेनल्टी का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि एक प्रावधान से कैद की सजा को समाप्त किया गया है, 17 प्रावधानों में कैद या जुर्माने की जगह पेनल्टी रखी गई है, जबकि 498 प्रावधानों में केवल पेनल्टी का प्रावधान किया गया है। इससे न केवल व्यापार और उद्योग जगत को सहूलियत मिलेगी बल्कि न्यायपालिका पर बोझ भी कम होगा।
राज्य सरकार का मानना है कि यह बदलाव विशेष रूप से स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए सहायक सिद्ध होंगे। अब छोटी चूक या तकनीकी भूल पर अनावश्यक आपराधिक कार्रवाई का भय नहीं रहेगा और उद्योगों को अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
सदन में पारित इस विधेयक से सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास और मजबूत होगा। यह कानून प्रशासनिक सुधारों को गति देने के साथ-साथ निवेश को बढ़ावा देगा और गुजरात को देश के विकास मॉडल के रूप में और सशक्त बनाएगा।