देशभर में घटिया गुणवत्ता और मिलावटी दवाओं पर कड़ी कार्रवाई की गई है। केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने सितंबर 2025 में जांच के दौरान विभिन्न फार्मा कंपनियों की 52 दवाओं को मानक गुणवत्ता से कम पाया। इसके अलावा, राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 60 अन्य दवा सैंपल को अस्वीकार्य गुणवत्ता वाला करार दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह जांच नियमित नियामक निगरानी के तहत की जाती है और सितंबर 2025 के लिए मानक से कम और नकली दवाओं की सूची केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है। इसमें देशभर के अलग-अलग राज्यों में निर्मित दवाएं शामिल हैं, जिनमें कुछ बड़ी फार्मा कंपनियों के उत्पाद भी हैं।
जांच में यह पाया गया कि अधिकांश दवाएं एक या अधिक गुणवत्ता मानकों में असफल पाईं गईं। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल जांच किए गए विशेष बैच तक ही लागू होता है और अन्य बैचों पर इसका असर नहीं माना जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ से एक दवा सैंपल को नकली पाया गया है। यह दवा एक ऐसी कंपनी द्वारा बनाई गई थी जिसने अवैध रूप से किसी अन्य कंपनी के ब्रांड नाम का इस्तेमाल किया था। मामले की जांच जारी है और नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि असुरक्षित और नकली दवाओं को बाजार से हटाने के लिए राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ मिलकर कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। कंपनियों के खिलाफ लाइसेंस रद्द करने और कानूनी कार्रवाई की संभावनाएं भी हैं।
विशेषज्ञों ने आम जनता को चेतावनी दी है कि दवाएं केवल पंजीकृत और प्रमाणित दुकानों से ही खरीदें। किसी भी संदिग्ध दवा या पैकेजिंग में अनियमितता होने पर तुरंत स्थानीय औषधि निरीक्षक को सूचित करें।
इस कार्रवाई का उद्देश्य मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और दवा बाजार में विश्वसनीयता बनाए रखना है।