भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछले वर्ष रूस के कजान में हुई मुलाकात के बाद दोनों के बीच सभी स्तरों पर सकारात्मक नतीजे मिले हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार यह बात कही। उन्होंने कहा, "भारत-चीन संबंधों में ‘‘सकारात्मक प्रगति’’ हुई है और पिछले साल पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में मिली सफलता के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे मिले हैं।"

रूस के कजान में मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद हालात बदले

वांग ने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूछा गया था कि दोनों देशों के बीच संबंधों में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के बाद बीजिंग द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह देखता है? इसके जवाब में वांग ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में सफल बैठक के बाद पिछले वर्ष चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है।’’

वांग ने संसद के वार्षिक सत्र से इतर कहा कि शी और मोदी दोनों ने कजान बैठक में संबंधों में सुधार के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि इसके बाद, दोनों पक्षों ने नेताओं की महत्वपूर्ण आम समझ का ईमानदारी से पालन किया गया। इससे सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया और कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए"।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी की गई सुनिश्चित

भारत और चीन ने पिछले साल बातचीत के बाद एक समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख के अंतिम दो टकराव बिंदुओं, देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित की। जिससे पिछले चार साल से अधिक समय से दोनों देशों के बीच चल रहा तनाव बहुत हद तक कम हो गया। समझौते को अंतिम रूप देने के बाद मोदी और शी ने 23 अक्तूबर को कजान में वार्ता की। बैठक में दोनों पक्षों ने विभिन्न स्तरों पर बातचीत फिर से शुरू करने का निर्णय लिया।

इसके बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वांग ने 18 दिसंबर को बीजिंग में 23वीं विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता की। 26 जनवरी को विदेश सचिव विक्रम मिस्री चीन की राजधानी गए और 'विदेश सचिव-उपमंत्री' स्तर पर अपने चीनी समकक्ष सुन वेइदोंग से बातचीत की। संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति के महत्व पर भारत की ओर से जोर दिए जाने का स्पष्ट संदर्भ देते हुए वांग ने चीन के इस रुख को दोहराया कि सीमा या अन्य मुद्दों पर मतभेदों से समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ना चाहिए।

ड्रैगन और हाथी के बीच सहयोग ही दोनों पक्षों के लिए एकमात्र विकल्प: वांग यी

वांग, जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शक्तिशाली राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य भी हैं, ने कहा, "दो प्राचीन सभ्यताओं के रूप में, हमारे पास सीमा मुद्दे के निष्पक्ष और उचित समाधान तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त ज्ञान और क्षमता है।" उन्होंने कहा, "हमें द्विपक्षीय संबंधों को कभी सीमा से जुड़े सवालों या कुछ मतभेदों से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए, जिससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र तस्वीर प्रभावित हो।" चीन का मानना है कि सबसे बड़े पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में साझेदार बनना चाहिए। वांग ने कहा, "ड्रैगन और हाथी के बीच सहयोगात्मक साझेदारी ही दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है।"

उन्होंने कहा, "हमारे पास एक-दूसरे को कमजोर करने या एक-दूसरे को कमतर आंकने के बजाय एक-दूसरे का समर्थन करने का हर कारण है।" उन्होंने कहा कि दोनों देशों को "एक-दूसरे के खिलाफ सुरक्षा करने के बजाय एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए।" वांग ने कहा, "यह एकमात्र रास्ता है जो वास्तव में दोनों देशों के मौलिक हितों में है।"

उन्होंने अमेरिका की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए कहा, "वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में, हमारा दायित्व है कि हम आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति का विरोध करने में अग्रणी भूमिका निभाएं।" उन्होंने कहा, "हमें न केवल अपने देशों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों को बरकरार रखना चाहिए।"

वांग ने कहा, "यदि चीन और भारत हाथ मिलाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अधिक लोकतंत्र और मजबूत वैश्विक दक्षिण की संभावना में काफी सुधार होगा।" वांग ने कहा कि 2025 में चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ होगी। उन्होंने कहा, "चीन भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है, ताकि अतीत के अनुभवों को समेटा जा सके और चीन-भारत संबंधों को सुदृढ़ एवं स्थिर विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।"