आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के होलागुंडा क्षेत्र के देवरगट्टू में दशहरे के मौके पर हर साल आयोजित होने वाला अनोखा और हिंसक उत्सव इस बार भी बड़े पैमाने पर मनाया गया। इस दौरान श्रद्धालु भगवान की मूर्ति को अपने पास रखने के लिए आपस में भिड़ते हैं और लाठियों से एक-दूसरे पर वार करते हैं। यह प्रथा दशकों से चली आ रही है और मल्लेश्वर मंदिर के पास दानव पर भगवान शिव की विजय की याद में आयोजित की जाती है।
इस साल भी उत्सव रात 12 बजे मल्लेश्वर मंदिर में पूजा संपन्न होने के बाद शुरू हुआ और सुबह तक जारी रहा। आसपास के सात गांवों से हजारों लोग इसमें शामिल हुए। लोग दो गुटों में बंटकर भगवान की मूर्ति के लिए छीना-झपटी करते हुए एक-दूसरे पर लाठियां चलाते रहे। सीमावर्ती कर्नाटक से भी उत्सुक श्रद्धालु देखने पहुंचे।
दुर्भाग्यपूर्ण हादसा
छीना-झपटी और डंडों की चोटों से करीब 100 लोग घायल हुए, जिनमें से 8 की हालत गंभीर बताई जा रही है। इलाज के दौरान 2 लोगों की मौत हो गई। मामूली चोट वाले श्रद्धालुओं को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।
सुरक्षा व चिकित्सा प्रबंध
सरकार ने इस हिंसक परंपरा को सुरक्षित रूप में आयोजित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की। कई कैम्प बनाए गए थे, जहां फास्ट ऐड चिकित्सा की सुविधा, डॉक्टरों की टीम और एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई थी। भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया था ताकि कोई अनहोनी न हो।
उल्लेखनीय है कि इस उत्सव में घायल होने वालों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है, लेकिन स्थानीय परंपरा के चलते इसे रोक पाना मुश्किल है।