मद्रास हाईकोर्ट ने शनिवार को अन्ना विश्वविद्यालय में कथित दुष्कर्म और प्राथमिकी लीक मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की महिला अधिकारी शामिल हैं। जस्टिस एस.एम. सब्रमण्यम और जस्टिस वी. लक्ष्मी नारायणन ने एसआईटी का गठन किया। इसमें स्नेहा प्रिया, अयमान जमाल और बृंदा जैसी महिला आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। एसआईटी को दोनों मामलों की जांच सौंपी गई है। 

पीड़िता को 25 लाख का मुआवजा देने का निर्देश
हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह प्राथमिकी लीक होने से पीड़िता को मानसिक आघात के लिए 25 लाख रुपये का मुआवजा दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि अन्ना विश्वविद्यालय पीड़िता को निशुल्क शिक्षा, छात्रावास, रहने की सुविधा और काउंसलिंग प्रदान करे, ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके। 

कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को जारी किया निर्देश
कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से यह सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मामलों की प्राथमिकी लीक न हो। कोर्ट ने इस मामले पर दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का निपटारा किया। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को यह भी निर्देश दिया कि अगर जरूरी हो तो चेन्नई के पुलिस आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई करें, क्योंकि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जांच की जानकारी मीडिया में लीक की थी। 

सीसीटीएनएस पर काम करते समय लीक हुई प्राथमिकी
अटॉर्नी जनरल पी.एस. रमण ने कहा कि प्राथमिकी लीक की वजह तकनीकी खामी हो सकती है। यह राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस) पर काम करते समय हुआ। उन्होंने बताया कि पुलिस ने 14 लोगों को पकड़ा किया है, जिन्होंने प्राथमिकी हासिल की और पीड़िता की पहचान सहित विवरण साझा किए। हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि पुलिस ने मीडिया से बात करने की अनुमति क्यों नहीं ली। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि जिला कलेक्टर, एसपी और पुलिस आयुक्त मीडिया से बात कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सरकार से पूर्व अनुमति नहीं थी। 

अन्ना विश्वविद्यालय ने अपना पक्ष रखा
अन्ना विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए वकील जे. रविंद्रन ने बताया कि विश्वविद्यालय पीड़िता के साथ है और उसे आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए काउंसलिंग प्रदान की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रबंधन पीड़िता और उसके परिवार के साथ है।  23 दिसंबर की रात अन्ना विश्वविदयालय के परिसर में एक द्वितीय वर्ष की छात्रा का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। इससे पहले, शुक्रवार को हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले का संज्ञान लिया था। जस्टिस सुब्रमण्यम और लक्ष्मी नारायणन की डिवीजन बेंच ने यह कार्रवाई एक वकील आर. वरलक्ष्मी के अनुरोध पर की थी।