नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के खिलाफ हवाई अड्डा और प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा जल्दबाजी में गिरफ्तारी और हिरासत में लेने की प्रथाओं पर कड़ा संदेश जारी किया है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि ऐसी कार्रवाई केवल उचित कानूनी सलाह और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने के बाद ही की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने इटली में रहने वाले भारतीय नागरिक रॉकी अब्राहम के खिलाफ दर्ज गिरफ्तारी और आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। रॉकी को जनवरी 2025 में दिल्ली हवाई अड्डे पर हिरण के सींग के कथित तस्करी के आरोप में हिरासत में लिया गया था।
रॉकी अब्राहम पर आरोप
अब्राहम छुट्टियां मनाने और इलाज के लिए कोच्चि जा रहे थे, जब उनके सामान में हिरण का सींग मिलने के बाद अधिकारियों ने उन्हें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धाराओं 39, 49 और 51 के तहत गिरफ्तार कर लिया। उन्हें लगभग दो हफ्ते तक हिरासत में रखा गया और भारत छोड़ने पर प्रतिबंध सहित कड़ी शर्तों पर जमानत मिली।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और चेतावनी
कोर्ट ने कहा कि बिना उचित जांच और कानूनी सलाह के की गई गिरफ्तारी न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती है, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ दर्ज FIR तथा इससे जुड़ी सभी कार्रवाई गैरकानूनी हैं और इन्हें रद्द किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को आगाह किया है कि भविष्य में ऐसे मामलों में अत्यंत सावधानी बरती जाए, ताकि देश की अंतरराष्ट्रीय छवि और मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।