केरल में आशा कार्यकर्ता पिछले 13 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. वो अपनी वेतन और सुविधाओं में सुधार की मांग कर रही हैं. इस बीच कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने आशा कार्यकर्ताओं की मागों का समर्थन किया है. उनका कहना है कि आशा कार्यकर्ता हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की सबसे बड़ी ताकतों में से एक हैं, जो निस्वार्थ भाव से समुदायों की सेवा करती हैं, खासकर संकट के समय में.
कांग्रेस सांसद ने सोश मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल के दौरान आशा कार्यकर्ता भारत के स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क का एक अभिन्न अंग बन गईं. कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में अपनी जान जोखिम में डालने से लेकर पूरे भारत में अनगिनत परिवारों को मातृ देखभाल और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने तक उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि स्वास्थ्य सेवा सबसे हाशिए पर रहने वाले लोगों तक भी पहुंचे.
‘कार्यकर्ताओं की लड़ाई मान-सम्मान की लड़ाई है’
उन्होंने कहा कि केरल में आशा कार्यकर्ता अपने अल्प मानदेय 7000 रुपए में उचित वृद्धि के लिए विरोध कर रही हैं जो कि कर्नाटक और तेलंगाना में उनके समकक्षों को मिलने वाले वेतन से बहुत कम है. सांसद ने कहा कि उनकी लड़ाई मान-सम्मान की लड़ाई है. यह भयावह है कि जो महिलाएं समाज की रीढ़ हैं, उन्हें अपने अधिकारों के लिए इस तरह भीख मांगनी पड़ रही है. न्याय के बजाय उन्हें केरल सरकार से केवल उदासीनता मिली है उन्हें चुप कराने का प्रयास किया जा रहा है.
‘कांग्रेस आशा कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी है’
प्रियंका गांधी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस केरल की आशा कार्यकर्ताओं के साथ अटूट एकजुटता के साथ खड़ी है. सांसद ने कहा ‘मेरी बहनों, आपकी लड़ाई व्यर्थ नहीं जाएगी. जब यूडीएफ अगले साल सत्ता में आएगी, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपका वेतन बढ़ाया जाए और आपको वह सम्मान और पहचान मिले जिसके आप असली हकदार हैं.
मासिक वेतन 7,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 करने की मांग
केरल भर से करीब 26,000 आशा कार्यकर्ता बेहतर कामकाजी हालात और उचित मुआवजे की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. गुरुवार को एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन को अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल दिया और अपनी मांगें पूरी होने तक काम पर न लौटने का निर्णय किया. कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें हर महीने सिर्फ 7,000 रुपये मिलते हैं, इतने पैसों में कोई कैसे घर चला सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि रिटायर होने पर भी उन्हें कुछ नहीं मिलता. प्रदर्शनकारी अपनी मासिक वेतन 7,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपए करने की मांग कर रहे हैं.
 
                 
                 
                 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                     
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        