तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से तीन भाषा नीति का लगातार विरोध किया जा रहा है। गुरुवार को उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा कि हिंदी ने कई भारतीय भाषओं को निगल लिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर पलटवार किया। उन्होंने स्टालिन पर समाज को बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि समाज को बांटने की कोशिश से खराब शासन कभी नहीं छिपेगा। उन्होंने विपक्ष को भी घेरा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर लिखा कि समाज को बांटने की ऐसी कोशिशों से खराब शासन कभी नहीं छिप पाएगा। यह जानना दिलचस्प होगा कि विपक्ष के नेता इस पर क्या कहते है। राहुल गांधी इस पर क्या कहेंगे? क्या वे हिंदी भाषी सीट के सांसद होने के नाते इससे सहमत हैं?
स्टालिन ने यह लिखा था
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने गुरुवार सुबह एक्स पर लिखा था कि क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी और कई अन्य भाषाएं अब अस्तित्व के लिए हांफ रही हैं। एक अखंड हिंदी पहचान के लिए जोर देने से प्राचीन मातृभाषाएं खत्म हो रही हैं। यूपी और बिहार कभी भी हिंदी गढ़ नहीं थे। उनकी असली भाषाएं अब अतीत की निशानी बन गई हैं। तमिलनाडु इसका विरोध करता है क्योंकि हम जानते हैं कि यह कहां खत्म होगा?
तीन भाषा नीति को लेकर चल रहा विवाद
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बीच बीते कई दिनों से जुबानी जंग जारी है। बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तमिलनाडु में लागू करने से स्टालिन के इनकार पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं स्टालिन, केंद्र सरकार पर जबरन राज्य में इसे लागू करने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने राज्य पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया। इस आरोप का केंद्र सरकार ने खंडन किया है।