कोलकाता। सीबीआई की मानें तो पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है और 2000 करोड़ रुपये से भी अधिक का गबन हुआ है। सीबीआई ने दावा किया है कि बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ही नहीं बल्कि राज्य के कई सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में पिछले 10 वर्षों में भारी वित्तीय भ्रष्टाचार हुआ है।केंद्रीय एजेंसी का कहना है कि अगर भ्रष्टाचार की रकम 2,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो जाए तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने हाल में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है।
आरजी कर अस्पताल के बाहर भी जांच कर सकती है सीबीआई
सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि भ्रष्टाचार आरजी कर अस्पताल के बाहर भी फैल गया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर आरजी कर अस्पताल के बाहर भ्रष्टाचार का जाल फैला है तो जरूरत पड़ने पर सीबीआई इसकी जांच कर सकती है।सीबीआई का कहना कि आरजी कर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और उनके दो करीबी व्यवसायियों सुमन हाजरा व बिप्लब सिंह के संपर्क स्रोतों की विस्तृत जानकारी सामने आने के बाद उसे इस भ्रष्टाचार के जाल के बारे में पता चला है।
संदीप घोष पर लगे हैं गंभीर आरोप
मालूम हो कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने डॉ. घोष व अन्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। घोष पर टेंडरों को लेकर पक्षपात करने, मेडिकल आर्गेनिक कचरे की अवैध बिक्री, मुर्दाघर के शवों के अंग बेचने, पैसे लेकर मेडिकल छात्रों को पास कराने जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं।
इधर, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में अपनी सहकर्मी के साथ हुए हुए और हत्या के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है। जूनियर डॉक्टरों का संगठन पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट (डब्ल्यूबीजेडीएफ) राज्य के शहरी इलाकों से आगे बढक़र बंगाल के गावों में अपना आधार बढ़ाने की योजना बना रहा है।
ग्रामीण इलाकों तक आंदोलन ले जाने की चेतावनी
इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक देबाशीष हलदर ने कहा कि जब तक दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाती और मामले में हमारी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलन अब सिर्फ मेट्रो, शहरों, उपनगरीय या जिला मुख्यालयों तक सीमित नहीं रहेगा। इसे अब दूरदराज के ग्रामीण इलाकों तक हम लेकर जाएंगे।