संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक लोकसभा से पारित हो गया दिया। हालांकि, विधेयक पर कई विपक्षी सांसदों ने विरोध दर्ज कराया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को बैक-डोर एनआरसी करार दिया। 

जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई है। कानून और न्याय मंत्रालय ने इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की। इसमें कहा गया है कि  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कानून को मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब यह कानून बन गया है। इस विधेयक को मानसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदन पहले ही पारित कर चुके हैं। सदन में पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सांसदों ने इस पर विरोध दर्ज कराया था। 


जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पांच दशक से भी ज्यादा पुराने अधिनियम में संशोधन करना चाहता है। इसे 26 जुलाई को संसद के निचले सदन लोकसभा में पेश किया गया था। 

अब जबकि यह कानून बन गया है तो कई मामलों में जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग अनिवार्य होगा। इससे ऐसे सभी मामलों में किसी व्यक्ति की उम्र और जन्म स्थान निर्धारित करने के लिए इसे एकमात्र मान्य प्रमाण के रूप में माना जाएगा। जन्म प्रमाण पत्र न होने का मतलब यह होगा कि कोई व्यक्ति वोट नहीं दे सकता, या स्कूल में प्रवेश, शादी या सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता। 

कानून लागू होने के बाद जन्म प्रमाण पत्र एक ऐसा जरूरी दस्तावेज होगा जिसके जरिए सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। नए कानून से देश में जन्म तिथि और जन्म स्थान को साबित करने के लिए तमाम दस्तावेजों को दिखाने से बचा जा सकेगा। किसी भी बच्चे के जन्म के पंजीकरण के लिए अभिभावकों का आधार अनिवार्य होगा। आज के जमाने में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र को ऑनलाइन तरीके से ले सकते हैं जबकि पहले इसकी हार्ड कॉपी ही मिल पाती थी