कर्नाटक के सांसद प्रताप सिम्हा ने शाही मैसूर परिवार के वंशज पर चुनावी मैदान में उतरने पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि महाराज अब लोगों के प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे, जिसमें कचरा और मलबा साफ कराने का अनुरोध भी शामिल होगा।
दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने हाल ही में अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। इस सूची में 72 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया गया। दिलचस्प बात यह थी कि कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट से भाजपा ने इस बार एक पूर्व शाही मैसूर राजवंश के 27वें राजा यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को चुनावी रण में उतारा है। वहीं, प्रताप सिम्हा का टिकट काट दिया गया।
पिछले साल संसद हमले की बरसी पर हुआ था हंगामा
गौरतलब है, प्रताप सिम्हा पिछले साल उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब संसद हमले की बरसी पर 13 दिसंबर को उनके नाम से जारी विजिटर पास पर कुछ संदिग्ध लोकसभा कक्ष में घुस गए थे और हंगामा किया था। अब बुधवार को उन्हें तगड़ा झटका लगा, भाजपा के उम्मीदवारों की दूसरी सूची में 47 साल के सिम्हा का नाम नहीं है।
मैसूर लोकसभी सीट खोने पर सिम्हा
इसी से तिलमिलाए सिम्हा ने चामराजा पर हमला किया। उन्होंने कहा, 'हमारे पास पार्टी प्रोटोकॉल हैं। जब हमारे वरिष्ठ आसपास होते हैं, तब हम फर्श पर बैठते हैं। हम गुलदस्ते के साथ अपने नेताओं का स्वागत करने के लिए धूप में इंतजार करते हैं। हम खुश हैं, महाराजा इसे करने के लिए तैयार हैं। इतना ही नहीं, हम हवाई अड्डों से अपने नेताओं को लेने जाते हैं, उन्हें कार्यक्रमों का दौरा कराते हैं और उन्हें वापस हवाई अड्डे पर छोड़कर आते हैं। अगर महाराज यह सब करके खुश हैं, तो हम भी खुश हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'महाराज आम लोगों को महल में आने देंगे। हमें और क्या चाहिए? हम बहुत खुश हैं। मैसूर-कोडगु के लोग मुझे छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए बुलाते थे। कल्पना कीजिए कि अब महाराज इसके लिए तैयार हैं। मैं बहुत खुश हूं। लोग कचरा और मलबा साफ करने में मदद के लिए मुझे बुलाते थे, लेकिन मुझे खुशी है कि महाराज अब यह करेंगे।'
पहले की थी राजा की तारीफ
बता दें कि मैसूर-कोडगु सीट के लिए चामराजा के नाम की घोषणा से पहले प्रताप सिम्हा ने शाही वंशज की प्रशंसा करते हुए कहा था, 'इनका हर किसी को स्वागत करना चाहिए। अपने लोगों के लिए काम करना वास्तव में एक स्वागत योग्य और प्रशंसनीय कदम है। जब हमें 1947 में आजादी मिली तो एक राजा और आम लोगों के बीच के मतभेद समाप्त हो गए। आइए एक आम नागरिक के रूप में बाकी नागरिकों के बीच रहने का विकल्प चुनने के लिए यदुवीर का स्वागत करें।'
वहीं, भाजपा द्वारा उम्मीदवार की सूची जारी करने के बाद सिम्हा ने कहा कि उन्होंने महाराज यदुवीर को फोन किया और बधाई दी और अगले दो दिनों में वह पार्टी के लिए चुनाव प्रचार शुरू करेंगे।
कौन हैं मैसूर परिवार के वंशज?
मैसूर लोक सभा सीट से भाजपा ने यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को चुनावी रण में उतारा है। यह मैसूर के 25वें और आखिरी शासक महाराजा यदुवीर जयरामचंद्र वाडियार के पोते हैं। इनका पालन-पोषण चाचा श्रीकांतदत्त वाडियार की पत्नी प्रोमोदा देवी वाडियार ने किया है। उन्होंने यदुवीर को गोद लिया था। यदुवीर ने अपनी स्कूली शिक्षा बेंगलुरु के विद्यानिकेतन स्कूल से की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी चले गए। उनके पास अंग्रेजी साहित्य और अर्थशास्त्र में डिग्री है। यदुवीर के लिए चुनाव लड़ने का यह पहला मौका है और भाजपा ने उन्हें महत्वपूर्ण मैसूर क्षेत्र से मैदान में उतारने का फैसला किया है, जहां शाही परिवार की बहुत अच्छी प्रतिष्ठा है।