पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सोमवार को बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) ने एसआईआर प्रक्रिया के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। बीएलओ ने निर्वाचन आयोग के कोलकाता कार्यालय के बाहर हंगामा मचाया, जिसके कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई और पुलिस को भारी तैनाती करनी पड़ी। बीएलओ पिछले कई दिनों से एसआईआर प्रक्रिया को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते सप्ताह भी उन्होंने जबरन राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यालय में प्रवेश करने की कोशिश की थी।
बीएलओ का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया में काम का अत्यधिक दबाव है और उन्हें अमानवीय तनाव झेलना पड़ रहा है। उनके अनुसार, देश के 12 राज्यों में चल रही इस प्रक्रिया के कारण कई अधिकारी मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। कुछ परिवारों ने यह भी आरोप लगाया है कि बीएलओ पर अत्यधिक कार्यभार डाला जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
चुनाव आयोग ने इस विवाद के बीच एसआईआर की समयसीमा सात दिन बढ़ा दी है। अब मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया 11 दिसंबर तक जारी रहेगी। इसके बाद मतदाता सूची का मसौदा 16 दिसंबर को प्रकाशित होगा, जबकि अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को जारी की जाएगी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाताओं के नाम दर्ज कराने के लिए फॉर्म भरने की अवधि भी 11 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है।
एसआईआर प्रक्रिया में 12 राज्यों में कुल 5.32 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं। इनमें 5 लाख से अधिक बीएलओ और 12.43 लाख से अधिक राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) कार्यरत हैं। इस प्रक्रिया के तहत लगभग 50 करोड़ मतदाताओं के आंकड़ों का पुनरीक्षण किया जा रहा है।
यह कदम मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के साथ-साथ बीएलओ के दबाव को कम करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।