बजट: लंबित जनगणना के लिए आवंटित किए गए मात्र 574 करोड़

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज साल 2025-26 के लिए आम बजट पेश किया।  बजट में वित्त मंत्री ने  किसानों और एमएसएमई सेक्टर के लिए कई अहम एलान किए। वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग को बड़ा तोहफा देते हुए 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगाने का एलान किया है। वहीं, अगर बजट में किए गए प्रावधानों को देखें तो इस बार भी जनगणना होने की संभावना नहीं दिख रही है। इस बार बजट में जनगणना के लिए 574.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में जनगणना, सर्वेक्षण और सांख्यिकी/भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) के लिए 574.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वहीं, 2021-22 के लिए पेश किए गए बजट में इस बाबत 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसको देखते हुए कहा जा रहा है कि ये एक संकेत है कि करीब पांच साल की देरी के बाद भी जनगणना नहीं कराई जा सकती। 

पूर्व में कितनी राशि की गई आवंटित
बता दें कि बजट 2024-25 के अनुसार, जनगणना सर्वेक्षण और सांख्यिकी के लिए 1,309.46 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि 2023-24 में यह 578.29 रुपये था। वहीं, 24 दिसंबर, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 8754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2021 आयोजित करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। 

जनगणना कराने और एनपीआर अपडेट के लिए चाहिए इतने हजार करोड़
अधिकारियों का दावा है कि लंबित जनगणना कराने और एनपीआर अपडेट कराने के लिए सरकार को करीब-करीब 12000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। 

कोरोना के कारण स्थगित की गई जनगणना की प्रक्रिया
गौरतलब है कि जनगणना और एनपीआर को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक देश भर में किया जाना था, लेकिन कोरोना के कारण तब इसे स्थगित कर दिया गया था। फिलहाल अभी तक जनगणना का काम रुका हुआ है। सरकार ने अभी तक नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है। बता दें कि जब भी जनगणना कराई जाएगी तब यह पहली डिजिटल जनगणना होगी। वहीं, एनपीआर को उन नागरिकों के लिए अनिवार्य बना दिया गया है जो सरकारी अधिकारियों के बजाय स्वयं जनगणना फॉर्म भरने के अधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं। इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल डिजाइन किया है जिसे अभी लॉन्च किया जाना बाकी है।

क्यों अहम है जनगणना?
जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। इससे न सिर्फ जनसंख्या बल्कि जनसांख्यिकी, आर्थिक स्थिति कई अहम पहलुओं का पता चलता है। हालांकि, इस बार की जनगणना के आंकड़े लोकसभा सीटों के परिसीमन और संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू करने संबंधी प्रावधानों के कारण बेहद अहम हैं।

पहली जनगणना 1872 और आखिरी 2011 में हुई थी
भारत में हर दस साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी। जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था। 

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