कावेरी जल बंटवारा विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। आए दिन नई-नई याचिकाएं दायर हो रही हैं। अब इस क्रम में, कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया।
हलफनामे में कहा है कि तमिलनाडु ने कर्नाटक के जलाशयों से प्रतिदिन 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आवेदन किया है। क्योंकि उनका मानना है कि इस साल सामान्य बारिश हुई है। जबकि ऐसा कुछ नहीं हैं। सरकार ने कहा कि इस साल सितंबर में 36.76 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) जल छोड़ना संभव नहीं है। इसे सुनिश्चित करने के तमिलनाडु के आवेदन का कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि उक्त मात्रा एक सामान्य वर्षा जल वर्ष में निर्धारित की जा सकती है। जबकि इस साल बारिश सामान्य नहीं हुई थी।
बता दें, हाल ही में, कावेरी नदी जल-बंटवारा विवाद की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पीठ गठित करने पर सहमती दी थी। वहीं, तमिलनाडु सरकार ने पानी छोड़ने पर नए निर्देश की मांग की।
बीती 17 अगस्त को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने कर्नाटक सरकार को अगले 15 दिनों के लिए पड़ोसी राज्य के लिए कावेरी नदी से 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया था। ये आदेश तब आया था, जब तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर 24 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने की मांग की थी।
इस बार मानसून के दौरान कम बारिश के चलते नदी पर बने डैम में पहले से पानी की कमी है, जिसके चलते कर्नाटक के किसान संगठन तमिलनाडु के लिए पानी छोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं। 20 अगस्त को कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सीडब्ल्यूएमए से अपने आदेश की समीक्षा करने की अपील की थी।
वहीं, अब कर्नाटक सरकार ने हलफनामा दायर किया है और कहा है कि तमिलनाडु का आवेदन सिर्फ एक अनुमान पर आधारित है।