तारा शाहदेव धर्मांतरण मामले में सीबीआई विशेष अदालत ने तीन को दोषी ठहराया

तारा शाहदेव धर्मांतरण मामले में सीबीआई कोर्ट में गुरुवार को फैसला सुनाया। सीबीआई की विशेष अदालत ने तारा शाहदेव के पूर्व पति और सास समेत सभी तीन मुख्य आरोपियों को दोषी ठहराया। इसके साथ ही सजा की घोषणा की। सीबीआई कोर्ट ने दोषी रकीबुल उर्फ रंजीत कोहली को उम्रकैद की सजा सुनाई। उनकी मां कौसर रानी को दस साल की सजा सुनाई गई है। साजिश रचने के आरोपी हाईकोर्ट के तत्कालीन रजिस्ट्रार मुस्ताक अहमद को 15 साल कैद की सजा सुनाई गई है।

2017 में, सीबीआई ने राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव मामले में आरोप पत्र दायर किया, जिस पर कथित तौर पर उसके पति द्वारा धर्म परिवर्तन करने का दबाव डाला गया था। तीनों दोषी (शाहदेव के पति रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उसकी मां कौशर रानी और मुस्ताक अहमद) न्यायिक हिरासत में हैं।

कोर्ट के फैसले के बाद तारा ने कहा “मैं अदालत और सीबीआई को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे न्याय दिया। यह न्याय सिर्फ मेरे लिए नहीं है, देश की हर बेटी को यह विश्वास मिलेगा कि जो भी उनके साथ ऐसा करेगा उसे सजा मिलेगी। लोग किसी के साथ ऐसा व्यवहार करने से डरेंगे… जब मेरी लड़ाई शुरू हुई तो इसे घरेलू हिंसा का नाम दिया गया। लेकिन मेरी कोशिश थी कि किसी भी लड़की के साथ ऐसा न हो। लोग उस शब्द को बोलने से झिझकते थे। इस फैसले के बाद वे इसके खिलाफ खुलेआम सामने आएंगे।…”

दोषी रसकिबुल हसन के वकील मुख्तार अहमद ने कहा ”इस मामले में तीन आरोपी हैं। रणजीत सिंह कोहली, मुश्ताक अहमद और कौशर रानी। कौशर रानी को धारा 376 के साथ 120 बी के तहत 10 साल की सजा हुई है। मुश्ताक अहमद को धारा 376 के तहत 15 साल की सजा हुई है। रणजीत सिंह कोहली को हिरसात मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा है। हम उस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे और निश्चित रूप से, हमें वहां से राहत मिलेगी… यह पारिवारिक विवाद का मामला है, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है… वे समाज में एक सम्मानित व्यक्ति हैं। हमें नहीं लगता कि यह इन लोगों के खिलाफ कुछ भी गंभीर है… हम उच्च न्यायालय जाएंगे। ..”

शाहदेव ने अपनी शिकायत में क्या कहा था?
शाहदेव ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसने सात जुलाई 2014 को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन से शादी की थी। लेकिन शादी के दूसरे दिन ही उसके पति और अहमद, जो उस समय रजिस्ट्रार के रूप में कार्यरत थे, के बीच अनबन शुरू हो गई थी। उसे अपना धर्म बदलने और निकाह करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सीबीआई ने 2015 में जांच अपने हाथ में ली थी और दिल्ली में मामला दर्ज किया था।

शाहदेव को क्रूरता के आधार पर जून 2018 में रांची की एक पारिवारिक अदालत ने तलाक दे दिया था। उसने अदालत में याचिका दायर की थी कि हसन ने उसके धर्म के बारे में गलत जानकारी दी थी और उसे शादी के लिए धोखा दिया था। उन्होंने हसन पर इस्लाम अपनाने से इनकार करने पर प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया था।

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