भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त (आरजीआई) ने सभी निदेशालयों को निर्देश जारी किए हैं कि आगामी जनगणना के दौरान किसी क्षेत्र की कवरेज छूट न जाए। इसके लिए नदियों, जंगलों और अन्य प्राकृतिक विशेषताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों और रेल मार्गों को मानचित्र विभाग से मिले भू-स्थानिक आंकड़ों में अद्यतन करना अनिवार्य होगा।
आरजीआई मृत्युंजन कुमार नारायण द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि प्रशासनिक सीमाओं से संबंधित मौजूदा भू-स्थानिक डाटा को भी संशोधित किया जाए, ताकि न तो कोई इलाका छूटे और न ही दोहराव की स्थिति बने। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों, रेल पटरियों (ब्रॉड गेज और मीटर गेज दोनों) तथा रेलवे स्टेशनों की लोकेशन को सही रूप से दर्शाना जरूरी है।
आदेश में बताया गया कि अपडेटेड डाटा डिजिटल फ्रेमवर्क का आधार बनेगा, जिसके जरिए घरों की सूची तैयार की जाएगी। इससे क्षेत्रवार जनगणना कवरेज की निगरानी अधिक प्रभावी हो सकेगी। अपडेटेड मानचित्र यह भी सुनिश्चित करेंगे कि हर गांव और शहरी वार्ड सही उप-जिला या स्थानीय निकाय से जुड़ा दिखे। सभी बदलाव 1 जनवरी 2010 के बाद की अधिसूचनाओं के आधार पर शामिल किए जाएंगे।
आरजीआई ने शहरी वार्ड की सीमाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। यदि बाद में सीमाओं में कोई संशोधन हुआ है, तो संबंधित शहरी निकाय से नया डाटा लेकर उसे मानचित्र में दर्शाया जाएगा। अपडेट पूरा होने के बाद उप-जिलों और स्थानीय निकायों के वर्किंग मैप तैयार कर जिला जनगणना अधिकारियों को भेजे जाएंगे।
गौरतलब है कि देश की 16वीं जनगणना वर्ष 2027 में कराई जाएगी। बर्फबारी वाले लद्दाख जैसे क्षेत्रों में इसकी संदर्भ तिथि एक अक्टूबर 2026 होगी, जबकि बाकी देश में यह तिथि एक मार्च 2027 तय की गई है। इस बार जातिगत जनगणना भी साथ में की जाएगी। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। आरजीआई ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि नगर निगमों, तहसीलों, उप-विभागों और जिलों की सीमाओं में प्रस्तावित बदलाव 31 दिसंबर तक पूरे कर लिए जाएं, क्योंकि नियमों के मुताबिक जनगणना शुरू होने से कम से कम तीन माह पूर्व प्रशासनिक सीमाएं स्थिर होनी चाहिए।