केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि राज्य के मल्लापुरम जिले के एक 14 साल के लड़के में तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम दिखाई दिया और उसे कोझिकोड के एक उच्च स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरित करने से पहले पेरिंथलमन्ना में एक स्वास्थ्य सुविधा में भर्ती कराया गया था। जहां बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
बच्चे के नमूने में वायरस की हुई पुष्टि
इसके बाद वायरस के नमूने को पुणे में मौजूद राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान को भेजे गए, जहां निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। फल और चमगादड़ से ये वायरस फैलता हैं और इंसान गलती से चमगादड़ का खाया हुआ दूषित फल खाने से संक्रमित हो सकता हैं। बयान में कहा गया है कि केरल में निपाह वायरस रोग (एनआईवीडी) का प्रकोप पहले भी मिला था, जिसमें आखिरी बार 2023 में कोझिकोड जिले में इसका पता चला था।
फिर से सरकार निपाह पर पाएगी नियंत्रण- राज्यपाल
वहीं निपाह वायरस के बारे में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कुछ साल पहले केरल में निपाह वायरस का प्रकोप देखा गया था और केरल ने तुरंत कार्रवाई की थी। इसलिए, मुझे उम्मीद है कि सरकार और अधिकारी, खासकर चिकित्साकर्मी स्थिति को नियंत्रण में लाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्वारंटीन और आइसोलेशन की दी सलाह
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य को सलाह दी है कि वह लड़के के परिवार और उसके पड़ोस में और मामले का पता लगने वाले स्थान के समान क्षेत्रों में पॉजिटिव केस की खोज करें और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को तुरंत लागू करे। केरल को यह भी सलाह दी गई है कि वह पिछले 12 दिनों में रोगी के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना शुरू करे और उनके लिए क्वारंटीन बनाए और संदिग्धों के लिए आइसोलेशन भी बनाएं।
‘वन हेल्थ’ मिशन से जाएगी ज्वाइंट आउटब्रेक रिस्पांस टीम
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय के ‘वन हेल्थ’ मिशन से कई लोगों की ज्वाइंट आउटब्रेक रिस्पांस टीम को मामले की जांच करने, महामारी विज्ञान संबंधों की पहचान करने और तकनीकी सहायता देने के लिए राज्य में तैनात किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य के अनुरोध पर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने रोगी प्रबंधन के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भेजी थी, लेकिन मंत्रालय के अनुसार लड़के की ‘खराब सामान्य स्थिति’ के कारण इसका उपयोग नहीं किया जा सका। मंत्रालय ने कहा कि रोगी संपर्कों से नमूनों के परीक्षण के लिए एक मोबाइल BSL-3 प्रयोगशाला कोझिकोड पहुंच गई है।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के उपचार के लिए विशेष निर्देश
देश में पहली बार केरल स्वास्थ्य विभाग ने अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के उपचार के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह दूषित जल में मुक्त रहने वाले अमीबा के कारण होने वाला एक दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण है, जिसने हाल के दिनों में राज्य में कई लोगों की जान ले ली है। मामले में रविवार को स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस की रोकथाम, निदान और उपचार पर एक तकनीकी दिशा-निर्देश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि इस दुर्लभ बीमारी के बारे में बहुत कम वैज्ञानिक अध्ययन और रिपोर्ट हैं और इसलिए सरकार ने मौजूदा अध्ययनों और टिप्पणियों के आधार पर इसके लिए एक व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आगे के अध्ययन और शोध के लिए आईसीएमआर के सहयोग से एक पैनल नियुक्त किया जाएगा।