केंद्र सरकार ने वापस लिया ब्रॉडकास्टिंग बिल, चर्चा के बाद ​अब फिर तैयार होगा नया ड्राफ्ट

केंद्र सरकार ने सोमवार को ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज रेगुलेशन बिल 2024 को वापस ले लिया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से बिल के ड्राफ्ट को हितधारकों के सुझाव और फीडबैक के लिए सर्कुलेट किया गया था. लेकिन अब विस्तृत विचार-विमर्श के बाद सरकार नया ड्राफ्ट जारी करेगी. सरकार ने सुझाव की समयसीमा बढ़ा दी है.

मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट को वापस लेने के पीछे की एक बड़ी वजह The News Broadcasters and Digital Association का भी दबाव माना जा रहा है. पुराने ड्राफ्ट के मुताबिक सरकार की यू ट्यूबर्स पर शिकंजा कसने की तैयारी थी.

सुझाव के लिए बढ़ाई गई समयसीमा

मंत्रालय ने आज सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा, “सूचना और प्रसारण मंत्रालय ड्राफ्ट बिल पर हितधारकों के साथ लगातार सलाह-मशविरा कर रहा है. फिलहाल मंत्रालय की ओर से बिल तैयार को लेकर लोगों से टिप्पणियां और सुझाव देने के लिए 15 अक्टूबर, 2024 तक अतिरिक्त समय दिया जा गया है. विस्तृत परामर्श के बाद एक नया ड्राफ्ट पब्लिश किया जाएगा.

इससे पहले सरकार ने ड्राफ्ट बिल 2023 को लेकर पिछले साल 10 नवंबर को हितधारकों और आम लोगों की सलाह जानने के लिए पब्लिक डोमेन में डाल दिया था. जवाब में, आम लोगों के साथ-साथ कई संगठनों की ओर से इस संबंध में बड़ी संख्या में सिफारिशें, टिप्पणियां और सुझाव दिए गए हैं.

यू-ट्यूबर्स पर शिकंजा कसने की तैयारी

पुराने ड्राफ्ट के मुताबिक सरकार की यू ट्यूबर्स पर शिकंजा कसने की तैयारी थी. साथ ही उस ब्रॉडकास्ट बिल के ड्राफ्ट में न्यूज इंफुएंर्स को ब्रॉडकास्टर की श्रेणी में रखने का प्रावधान भी था. इसमें उनके लिए डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्ट की श्रेणी बनाई जा सकती थी.

यह ब्राडकॉस्टिंग सर्विसेज बिल 2024 का दूसरा ड्राफ्ट था जो मौजूदा केबल टीवी नेटवर्क कानून 1995 की जगह लेता. इसमें यह कहा गया कि जो लोग सोशल मीडिया पर नियमित रूप से वीडियो अपलोड करते हैं या पॉडकास्ट बनाते हैं या फिर ऑनलाइन करंट अफेयर्स के बारे में लिखते हैं तो उन्हें डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.

ओटीटी प्रसारण सेवा में आएंगे ये लोग

साथ ही ओटीटी प्रसारण सेवा की परिभाषा को भी संशोधित किया गया था है, जिसके कारण न केवल नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो, बल्कि वो सामग्री निर्माता जो नियमित रूप से सोशल मीडिया पर अपने कंटेंट अपलोड करते हैं, वे भी निश्चित रूप से ओटीटी प्रसारण सेवा के दायरे में आ सकते हैं.

जैसे कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंट जो आईटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया के बारे में यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट करता है, तो वह बिल के लिहाज से एक ‘प्रोफेशनल’ है और यदि उनके पास बड़ी संख्या में फॉलोअर्स/कस्टमर्स हैं तो वे बिल के प्रावधानों को आकर्षित कर सकते हैं. यही नहीं एक पत्रकार जो नियमित रूप से सोशल मीडिया पर ट्वीट करता है, वह भी इसके अंतर्गत आता है.

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