नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने रविवार को दोहराया कि अनुसूचित जातियों (SC) के आरक्षण में भी क्रीमी लेयर को बाहर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक और सामाजिक रूप से संपन्न परिवारों के बच्चों को गरीब खेत मजदूर के बच्चों के बराबर नहीं माना जा सकता।
कार्यक्रम ‘India and the Living Indian Constitution at 75 Years’ में बोलते हुए CJI गवई ने इंद्र साहनी केस का हवाला दिया, जिसमें OBC के लिए क्रीमी लेयर लागू है। उन्होंने कहा कि इसी तर्क को SC वर्ग पर भी लागू किया जाना चाहिए। इस राय की आलोचना हुई है, लेकिन वह इसे सही मानते हैं।
रिटायरमेंट के करीब भावनात्मक बातें
CJI गवई ने मुस्कुराते हुए कहा कि उनके रिटायरमेंट में अब केवल एक हफ्ता बचा है। उन्होंने बताया कि उनके पहले और आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के अमरावती में हुए, जो उनके लिए भावनात्मक रूप से खास हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में महिलाओं के अधिकारों और समानता को लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव आया है। CJI ने यह भी याद दिलाया कि 2024 में उन्होंने राज्यों को सुझाव दिया था कि SC-ST में भी क्रीमी लेयर की पहचान कर उन्हें आरक्षण का लाभ न दिया जाए।
संविधान पर विचार
CJI गवई ने कहा कि संविधान स्थिर नहीं है और डॉ. बी.आर. अंबेडकर चाहते थे कि समय के साथ यह विकसित होता रहे। उन्होंने संविधान के मूल सिद्धांतों समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व को रेखांकित किया और कहा कि केवल समानता से प्रगति संभव नहीं है, और केवल स्वतंत्रता से शक्तिशाली कमजोरों पर हावी हो सकते हैं।
CJI ने संविधान की वजह से ही देश में दो SC राष्ट्रपति और वर्तमान में एक ST समुदाय से राष्ट्रपति बनने की बात भी याद दिलाई। उन्होंने भावुक होकर कहा कि एक साधारण नगर निगम स्कूल से पढ़कर वे देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे, यह संविधान की वजह से ही संभव हुआ।