केंद्र सरकार ने हांगकांग और सिंगापुर के भारतीय मसालों पर प्रतिबंध लगाने के दावों का खंडन किया है। गलतफहमी को दूर करते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि कुछ मीडिया की खबरों के विपरीत दोनों देशों में भारतीय मसालों पर कोई पूर्ण पाबंदी नहीं है। इसके बजाय प्रसिद्ध ब्रांडों एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों के विशिष्ट बैचों को अस्वीकृति का सामना करना पड़ा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, नेपाल में भारतीय मिशन के अधिकारियों ने नेपाली अधिकारियों के साथ मिलकर मामले की गहन जांच की, जिन्होंने स्वतंत्र आकलन के बजाय समाचार रिपोर्टों के आधार पर कार्रवाई की थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के निर्देशों के अनुरूप मसाला बोर्ड ने संबंधित कंपनियों के उत्पादों पर सावधानीपूर्वक निरीक्षण और नमूनाकरण अभ्यास किया। एमडीएच के 18 नमूनों की जांच में से सभी को मानक के अनुरूप पाया गया। हालांकि एवरेस्ट से 12 नमूनों में से कुछ को गैर-अनुपालक माना गया, जिससे सुधारात्मक कार्रवाई और निर्देशों की आवश्यकता हुई। कंपनियों को अपने उत्पादों की खरीद, भंडारण, पैकेजिंग और परिवहन चरणों के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
भारतीय मसाला बोर्ड ने उठाए क्या कदम?
मसाला विवाद के बीच भारतीय मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला एक्सपोर्ट की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। बोर्ड ने टेक्नो-वैज्ञानिक समिति की सिफारिशों को लागू किया है, जिसने मेन कारण जानने की कोशिश की और इसके प्रोसेसिंग फेसिलिटी का भी निरीक्षण किया। टेस्टिंग के लिए सेंपल्स सर्टिफाइड लैब में भेजे गए हैं।
भारतीय मसाला बोर्ड ने 130 से ज्यादा निर्यातकों और संघों, जैसे कि अखिल भारतीय मसाला निर्यातक मंच और भारतीय मसाला और खाद्य पदार्थ निर्यातक संघ, को शामिल करते हुए एक स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन का भी आयोजन किया। बोर्ड ने सभी निर्यातकों को ईटीओ ट्रीटमेंट के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। मसाला बोर्ड ने भारत से निर्यात होने वाले मसालों में ईटीओ कॉन्टेमिनेशन को रोकने के लिए ये कदम उठाया है।
एमडीएच, एवेरेस्ट में कैंसर कारक केमिकल होने का आरोप
बता दें कि अप्रैल महीने में हॉन्गकॉन्ग ने भारतीय ब्रांडों एमडीएच और एवरेस्ट के चार मसाला प्रोडक्ट को बैन कर दिया था। इसकी वजह उन्होंने कैंसर पैदा करने वाले केमिकल एथिलीन ऑक्साइड पाया जाना बताई थी।