नई दिल्ली। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर कांग्रेस ने शुक्रवार को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि आज सत्ता में बैठे लोग सरदार पटेल के विचारों और छवि का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उनका “भ्रमित उपयोग” कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि यदि पटेल आज जीवित होते, तो वे अपने नाम और विचारधारा के इस गलत इस्तेमाल से व्यथित हो जाते।

कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि “2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में इतिहास को लगातार तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है।” उन्होंने कहा कि पटेल और नेहरू के संबंधों को लेकर गलत धारणाएं फैलाने की कोशिश की जा रही है, जबकि दोनों नेताओं ने तीन दशकों से अधिक समय तक साथ मिलकर राष्ट्र निर्माण का कार्य किया।

रमेश ने याद दिलाया कि 13 फरवरी 1949 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गोधरा में सरदार पटेल की मूर्ति का अनावरण किया था, जहां पटेल ने अपने वकालत करियर की शुरुआत की थी। उस मौके पर नेहरू ने पटेल की राष्ट्रनिर्माण में भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें “भारत की एकता का शिल्पकार” कहा था।

कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि 19 सितंबर 1963 को राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने संसद भवन के पास सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया, जिसमें नेहरू स्वयं मौजूद थे। उन्होंने पटेल को भारतीय एकता और दृढ़ता का प्रतीक बताया था।

रमेश ने आगे कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी ने पटेल के शताब्दी समारोह की अध्यक्षता करते हुए उनके योगदान को याद किया था। कांग्रेस का कहना है कि पटेल की विचारधारा समावेशी थी और उन्होंने कभी भी विभाजनकारी राजनीति को समर्थन नहीं दिया।

रमेश ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि “यह वही विचारधारा है, जिसने देश में ऐसा वातावरण बनाया, जिससे महात्मा गांधी की हत्या जैसी भयावह घटना संभव हुई।”

गौरतलब है कि सरदार वल्लभभाई पटेल, जिनका जन्म 1875 में गुजरात के नाडियाड में हुआ था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। देश की एकता और अखंडता को सुदृढ़ करने में उनकी भूमिका को देखते हुए उन्हें “लौह पुरुष” के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनका निधन 1950 में हुआ था।