कांग्रेस विस्तारित कार्यसमिति की बैठकः विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस तैयार

कांग्रेस की विस्तारित कार्य समिति की बैठक रविवार को हैदराबाद में हुई। यह बैठक इस विश्वास के साथ समाप्त हुई कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी। पार्टी के विस्तारित संकल्प पत्र में कहा गया कि ‘कांग्रेस कार्य समिति की बैठक यह विश्वास व्यक्त करते हुए समाप्त होती है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जल्द होने वाले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में निर्णायक जनादेश हासिल करेगी। साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव, जो अप्रैल-मई 2024 में प्रस्तावित है, उसके लिए भी पार्टी संगठन की तैयारी पूरी है।’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक के दौरान पार्टी नेताओं से व्यक्तिगत मतभेदों को दूर रखने की नसीहत दी है और पार्टी की सफलता को प्राथमिकता देने को कहा। खरगे ने पार्टी नेताओं से अनुशासन और एकजुटता का भी आह्वान किया। खरगे ने कहा कि देश में बदलाव के संकेत हैं। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव इसका प्रमाण हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने एक देश, एक चुनाव को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पार्टी के लोगों को जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए। अभी हमारे लिए आराम करने का समय नहीं है। पिछले दस सालों में भाजपा के राज में आम लोगों के सामने चुनौतियां दोगुना बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की तानाशाह सरकार को सत्ता से हटाने के लिए पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी। 

बैठक में ये प्रस्ताव हुए पास
इससे पहले शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में तय किया गया कि पार्टी को विवादित मुद्दों से दूर रहना चाहिए और इसमें नहीं फंसना चाहिए। बैठक में कहा गया कि सनातन धर्म को लेकर जारी विवाद की बजाय गरीबों और उनके मुद्दों पर फोकस करना चाहिए। साथ ही बैठक में केरल के पूर्व सीएम ओमन चांडी के निधन पर शोक प्रस्ताव, मणिपुर पर शोक प्रस्ताव और हिमाचल प्रदेश की आपदा पर शोक प्रस्ताव पास किया गया। पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। 

शनिवार को कांग्रेस की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने कहा कि एक देश, एक चुनाव संविधान पर हमला है और पार्टी इसे स्वीकार नहीं करेगी। चिदंबरम ने इसे संघवाद पर हमला बताया। साथ ही आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के कामकाज को बाधित कर रही है और राज्यों को राजस्व में हिस्सा देने से इनकार किया जा रहा है या फिर उनका हिस्सा कम कर दिया गया है। 

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